तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात हाई कोर्ट से राहत नहीं मिली है. हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी है, इसके साथ ही उन्हें साल 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामलों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर सबूत गढ़ने से संबंधित मामले में तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया है.
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार न्यायमूर्ति निर्जर देसाई की पीठ ने सीतलवाड़ की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. बदा दें कि तीस्ता सीतलवाड़ अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद जेल से बाहर हैं. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, चूंकि आवेदक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर है, इसलिए उसे तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है.
सीतलवाड़ और सह-अभियुक्त और पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार को पिछले साल 25 जून को गुजरात पुलिस ने हिरासत में ले लिया था और एक अदालत ने उनकी पुलिस रिमांड समाप्त होने के बाद 2 जुलाई को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद वह सितंबर 2022 में जेल से बाहर आईं.
अहमदाबाद अपराध शाखा ने सीतलवाड़, श्रीकुमार और जेल में बंद पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के खिलाफ पहली FIR दर्ज की. इसके एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष जांच दल द्वारा तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गोधरा दंगों के मामलों में अन्य को को दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी. सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट पर सबूत गढ़ने और निर्दोष लोगों को मौत की सजा वाले अपराध में फंसाने की साजिश रचकर कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने का भी आरोप है.
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