समान नागरिक संहिता का मुद्दा हवा में उछाल कर पीएम नरेंद्र मोदी ने सभी विपक्षी दलों और कांग्रेस के नेताओं के बीच विभाजन की खाई को और गहरा कर दिया है. कानून और न्याय पर संसदीय समिति की यूसीसी और विधि आयोग के मशविरे पर चर्चा करने के लिए 3 जुलाई को होने जा रही बैठक से ठीक पहले खुले तौर पर पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश में अपने भाषण में यूसीसी का समर्थन करते हुए कांग्रेस को सकते में डाल दिया है. अगर कांग्रेस यूसीसी का विरोध करती है, तो उस पर बीजेपी महिला सशक्तिकरण विरोधी होने का आरोप लगाने के लिए तैयार बैठी है.
21वें विधि आयोग द्वारा जारी 31 अगस्त, 2018 के एजेंडे और परामर्श पत्र की एक कॉपी भी सदस्यों के लिए जारी की जा रही है. इसे News18 ने हासिल किया है. लेकिन विपक्ष और उससे भी अधिक कांग्रेस के भीतर की कलह उजागर हो गई है. राजनीतिक तौर पर इससे बीजेपी को मदद मिलती है. कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने यूसीसी के बारे में खुलकर कहा है कि यह ‘एक भारत’ और देश की विविधता के विचार के लिए मुनासिब नहीं है. दूसरी ओर पार्टी को शर्मिंदगी में डालते हुए हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने यूसीसी का समर्थन किया. मगर साथ ही उन्होंने इसके समय पर सवाल उठाया और भाजपा पर ध्रुवीकरण का आरोप लगाया.
21वें विधि आयोग का 2018 का प्रस्ताव पत्र ही वह आधार है जिस पर चर्चा होने की संभावना है. जिसे समिति के सदस्यों के बीच बांटा गया है. यहीं विवाद है क्योंकि कई विवादास्पद बिंदु कांग्रेस के लिए अपना मन बनाना मुश्किल बना देते हैं. आधिकारिक तौर पर कांग्रेस ने कहा है कि अंतिम विधेयक आने पर वह फैसला करेगी. लेकिन जब विधि आयोग ने मशविरे के लिए एक अधिसूचना जारी की, तो पार्टी नेता जयराम रमेश ने कहा कि ‘विषय के महत्व और विभिन्न अदालती आदेशों के अस्पष्ट हवालों को छोड़कर इस विषय पर दोबारा विचार क्यों किया गया है, इसका कोई कारण नहीं बताया गया है.’ कांग्रेस ने इस कदम के समय पर भी सवाल उठाया है. इसमें 21वें विधि आयोग के उसी पेपर का भी हवाला दिया गया है, जिसमें तब कहा गया था कि यूसीसी इस स्तर पर न तो जरूरी है और न ही वांछनीय है.
यह कोई रहस्य नहीं है कि कांग्रेस 2019 के बाद नरम हिंदुत्व के राग को अलाप रही है. जब कांग्रेस की लोकसभा चुनाव में दोबारा हार हुई, तो आंतरिक रिपोर्ट में कहा गया कि मुख्य कारणों में से एक यह था कि इसे अल्पसंख्यक तुष्टीकरण करने वाली पार्टी के रूप में देखा गया था, जबकि भाजपा ने हिंदू नैरेटिव पर कब्जा कर लिया था. इसलिए जब राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ और कांग्रेस ने यह तय किया कि वह हिंदुओं की कीमत पर अल्पसंख्यक मुसलमानों का समर्थन नहीं करेगी. इसके लिए राम मंदिर बनाने का कांग्रेस ने मुखर समर्थन किया.
मगर अब, जब कुछ मुस्लिम संस्थाओं ने यूसीसी के लिए अपना विरोध जताया है, तो कांग्रेस मुश्किल में फंस गई है. सूत्रों का कहना है कि दिग्विजय सिंह जैसे कुछ नेता दुविधा में हैं. जबकि उन्होंने नर्मदा यात्रा के बाद खुद को पार्टी के हिंदुत्व चेहरे के रूप में कायम करने की कोशिश की. अब यूसीसी विधेयक के किसी भी मजबूत विरोध को मुस्लिम समर्थक माना जाएगा. दूसरी ओर शशि थरूर ने न्यूज18 से कहा कि ‘यह जवाहरलाल नेहरू के समय का विचार था. हो सकता है कि इसमें कुछ वैध बिंदु हों लेकिन यह स्वीकार करना होगा कि ये सभी बातें भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लागू नहीं की जा सकतीं.’
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