बिहार में इन दिनों राजनीतिक हलचल काफी तेज हो चुकी है. दरअसल बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद जेडीयू नेताओं के साथ बैठक की है. इस बैठक के बाद सियासी अटकलों का दौर शुरू हो गया है. आरएलजेडी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने दावा किया है कि जदयू का आरजेडी में विलय तय है. घोषणा कभी भी हो बस औपचारिकता बाकी है. उन्होंने कहा कि जदयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष इसके सूत्रधार बनेंगे जो आजकल आरजेडी के लिए काम कर रहे है.
उपेंद्र कुशवाहा यही नहीं रुके बल्कि उन्होंने ये भी दावा किया है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का इतिहास ठीक नहीं रहा है जितने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं, उन्हें एक-एक करके नीतीश कुमार ने हाशिए पर ढकेल दिया है. लेकिन, इस बार यह ट्रैक रिकॉर्ड बदलने वाला है क्योंकि जदयू के वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह खुद आरजेडी से मिल चुके हैं और बहुत जल्द नीतीश कुमार को हाशिए पर ढकेल जदयू का आरजेडी में मर्जर करा देंगे.
दावा सिर्फ उपेन्द्र कुशवाहा ने ही नहीं किया बल्कि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने भी किया है. उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि नीतीश कुमार बीजेपी से बुरी तरह से डर चुके है और उन्हें अब अपने विधायकों और सांसदों पर भी भरोसा नहीं रहा है. इसीलिए एक-एक करके अपने विधायकों से अकेले में मिल रहे है और उनसे आग्रह कर रहे हैं कि हमे छोड़ कर ना जाइए लेकिन उनके पास अब कोई नहीं टिकेगा यह उन्हें भी पता है.
दरअसल एक तरफ बिहार में मानसून चरम पर है. वहीं दूसरी तरफ बिहार में राजनीतिक हलचल भी बेहद तेज है और इसी हलचल के बीच नीतीश कुमार ने जदयू के तमाम विधायकों से अपने सरकारी आवास में मुलाकात की थी, जिसके बाद सरगर्मी तेज हो गई. इसी मुलाकात के बाद नीतीश कुमार के विरोधियों ने दावा शुरू कर दिया है कि आरजेडी और जदयू में मर्जर होगा. लेकिन, विरोधियों के दावे पर जदयू के वरिष्ठ नेता और मंत्री विजय चौधरी ने भी पलटवार करते हुए कहा कि 23 जून की पटना में हुई बैठक से बीजेपी में बौखलाहट बढ़ गई है. इसीलिए इस तरह का आरोप लगा रही है. विजय चौधरी कहते हैं कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है. मुख्यमंत्री अपने विधायकों से मिलते हैं और उसी कड़ी में जदयू विधायकों से मुलाकात हुई है. इसमें विलय और दूसरी बात कहां से आ गई. यह सब सिर्फ बीजेपी का हथकंडा है जिससे भ्रम फैलता रहे.
दरअसल जदयू और आरजेडी में विलय की बात सबसे पहले जदयू मे संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष रहते उपेन्द्र कुशवाहा ने उठाया था कि ऐसी कोशिश की जा रही है कि जदयू और आरजेडी का मर्जर हो जाए. लेकिन अगर ऐसा होता है तो ये जदयू के लिए यह आत्मघाती कदम होगा. इसी के बाद यह चर्चा तेज हो गई और समय-समय पर बीजेपी भी यह मुद्दा उठाते रहती है. मर्जर वाली बात की चर्चा तब से तेज हुई थी जब नीतीश कुमार ने यह कहा था कि 2025 में तेजस्वी यादव महागठबंधन को लिड करेंगे.
इसी के बाद बिहार के सियासत में हलचल तेज हुई थी और मर्जर वाली बात भी उठने लगी थी जिसका कई बार जेडीयू ने खंडन किया है. लेकिन, एक बार फिर जब नीतीश कुमार ने जब विधायकों से मुलाकात की की तो चर्चा तेज हो गई है. इस बार नीतीश कुमार के साथ-साथ ललन सिंह भी विरोधियों के निशाने पर हैं, क्योंकि उन्होंने नीतीश कुमार को बीजेपी से अलग करके जदयू को महागठबंधन के साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
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