विदेशों में खालिस्तान समर्थकों की भारत विरोधी हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. एक तरफ जहां अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में वाणिज्य दूतावास पर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा हमला किया गया. वहीं कनाडा में सिख फॉर जस्टिस के बैनर तले भारत विरोधी कुछ पोस्टर लगाने का मामला गरमाया हुआ है. इन पोस्टर्स में ‘Kill India’ लिखा गया है. यही नहीं, इन पोस्टर्स में भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और टोरंटो में भारत के महावाणिज्य दूत अपूर्वा श्रीवास्तव पर खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया गया है. वहीं भारत ने इस पूरे मामले में दिल्ली में मौजूद कनाडा के उच्चायुक्त को समन जारी किया है.
भारत सरकार ने पोस्टर पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई है. इसके अलावा भारत सरकार ने खालिस्तान समर्थकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है. कनाडा ने सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे पोस्टरों में भारतीय अधिकारियों का नाम होने पर भारत को उसके राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया है और खालिस्तान की एक रैली से पहले प्रसारित हो रही ‘‘प्रचारात्मक सामग्री’’ को ‘अस्वीकार्य’ बताया है.
कनाडा की विदेश मंत्री मिलानी जॉली का यह बयान तब आया है जब एक दिन पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत ने कनाडा, ब्रिटेन तथा अमेरिका जैसे अपने साझेदार देशों को ‘‘चरमपंथी खालिस्तानी विचारधारा’’ को तवज्जो न देने के लिए कहा है क्योंकि यह उनके रिश्तों के लिए ‘‘सही नहीं’’ है. राजनयिकों की सुरक्षा के लिए कनाडा की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए जॉली ने वियना संधि के प्रति देश के अनुपालन का उल्लेख किया.
उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘कनाडा राजनयिकों की सुरक्षा के संबंध में वियना संधियों के तहत अपने दायित्वों को बहुत गंभीरता से लेता है.’ उन्होंने कहा, ‘‘कनाडा आठ जुलाई को नियोजित एक प्रदर्शन के संबंध में ऑनलाइन प्रसारित हो रही कुछ प्रचारात्मक सामग्री को लेकर भारतीय अधिकारियों के करीबी संपर्क में है। यह प्रचारात्मक सामग्री अस्वीकार्य है.’ जॉली ने इस बात पर भी जोर दिया कि कुछ लोगों के कृत्यों को ‘पूरे समुदाय या कनाडा की सहमति नहीं है.’
नयी दिल्ली में सोमवार को भारतीय जनता पार्टी के जनसम्पर्क अभियान कार्यक्रम से इतर जयशंकर ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि ‘चरमपंथी, अतिवादी’ खालिस्तानी सोच भारत या अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे सहयोगी देशों के लिए ठीक नहीं है. विदेश मंत्री ने कहा, ‘ हमने कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे हमारे सहयोगी देशों, जहां खालिस्तानी गतिविधियां हुई हैं, उनसे आग्रह किया है कि वे खालिस्तानियों को तवज्जो नहीं दें, क्योंकि उनकी (खालिस्तानियों की) चरमपंथी, अतिवादी सोच न तो हमारे लिए, न ही उनके लिये और न ही उनसे (उन देशों से) हमारे संबंधों के लिए ठीक है.’
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