NCP और कांग्रेस में नेता विपक्ष की 'जंग', शरद पवार ने बताया कौन होगा लीडर, 'बगावत' पर सुनाया 1980 का किस्सा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने सोमवार को कहा कि अगर कांग्रेस अपना विपक्ष का नेता नियुक्त करना चाहती है, तो यह एक जायज मांग होगी क्योंकि सबसे अधिक विधायकों वाली पार्टी को नेता प्रतिपक्ष नियुक्त करने का अधिकार मिलता है. एनसीपी सुप्रीमो ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘जिस पार्टी के पास सबसे ज्यादा विधायक हैं, वह नेता प्रतिपक्ष पद की मांग कर सकती है. मेरी जानकारी के अनुसार, वर्तमान में कांग्रेस के पास सबसे ज्यादा संख्या है और अगर वे इसके लिए मांग करते हैं तो यह वैध मांग है.’

पवार ने कहा, ‘वहां से (अजित पवार के पक्ष से) कई लोगों ने मुझे फोन किया और कहा कि उनमें से ज्यादातर अभी भी राकांपा की मूल विचारधारा/नीतियों के साथ हैं और वे सही समय पर अपना रुख घोषित करेंगे.’ उन्होंने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, ‘मैंने यहां किसी को ताकत दिखाने के लिए नहीं बुलाया है. कभी आपकी ताकत बढ़ती है तो कभी कम होती है. मैंने पहले भी 1980 में इसका सामना किया है, जब मेरे 59 विधायकों में से केवल 5 ही बचे थे, लेकिन मैंने अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया और जिन्होंने पार्टी छोड़ी वह अगला चुनाव हार गए.’

शरद पवार ने आगे कहा कि उन्हें कभी इस बात की चिंता नहीं रही कि कौन चला गया और कौन रुक गया. आज मेरे कार्यकाल में मुझसे मिलने आए कुल लोगों में से लगभग 80 प्रतिशत युवा थे. ये युवा धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के लिए काम करेंगे और हर संभव प्रयास करके महाराष्ट्र को मजबूत करेंगे.

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सोमवार को अजित पवार सहित उन नौ विधायकों को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया, जिन्होंने 2 जुलाई को एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस सरकार में मंत्री पद की शपथ ली थी. एनसीपी ने नौ विधायकों के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास अयोग्यता याचिका दायर की है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे पर निराशा जाहिर करते हुए, पवार ने कहा, ‘मैंने सुनील तटकरे को राष्ट्रीय महासचिव और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया था. मैंने उन्हें कुछ जिम्मेदारियाँ दी थीं. लेकिन उन्होंने कुछ ऐसा किया जो मैंने उन्हें करने के लिए नहीं कहा था. इसलिए उन्हें उन पदों पर रहने का अधिकार नहीं है.’

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें यह देखकर दुख हुआ है कि उनके द्वारा तैयार किए गए नेता उन्हें छोड़कर जा रहे हैं, पवार ने ‘न’ में जवाब दिया. उन्होंने कहा, ‘बिल्कुल नहीं. मेरा अनुभव बताता है कि जब भी ऐसे हालात पनपते हैं, तब अंतिम निर्णय चुनाव में आम मतदाता ही करते हैं. मुझे उन पर भरोसा है.’

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