बीजेपी ने आगामी विधानसभा चुनावों और वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी संगठन के स्तर पर फेरबदल शुरू कर दी है. इसी कड़ी में बीजेपी ने चार राज्यों आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब और झारखंड में नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की है. बीजेपी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि बीजेपी अध्यक्ष अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन नियुक्तियों को अंतिम रूप दिया है और ये तत्काल प्रभाव से लागू होंगी.
झारखंड की अगर हम बात करें तो बीजेपी ने वहां पर बाबूलाल मरांडी पर भरोसा जताया है. बाबूलाल मरांडी आदिवासी समाज से आते हैं और वे बीजेपी से काफी समय से जुड़े हुए हैं. बाबूलाल मरांडी को बीजेपी ने प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री बनाया था. और अब एक बार फिर से 2024 में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को लेकर के बड़ी जिम्मेदारी दी गई है.
हालांकि बाबूलाल मरांडी कुछ समय के लिए बीजेपी से बाहर भी गए थे, लेकिन वह फिर से वापस बीजेपी में आ गए और बीजेपी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी है. बाबूलाल मरांडी एक कुशल संगठनात्मक क्षमता के वाले व्यक्ति के साथ ही बीजेपी के आदिवासी चेहरे भी हैं. बीजेपी को उम्मीद है इसके कारण पार्टी को लोकसभा चुनाव में अधिक से अधिक सीट जीतने में आसानी होगी साथ ही साथ राज्य में एक बार फिर से सत्ता में काबिज होने का मौका मिलेगा.
वहीं अगर हम तेलंगाना को देखें तो पार्टी ने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी पर भरोसा जताया है. जी किशन रेड्डी का पार्टी में युवा मोर्चा के समय से ही जुड़ाव है और वे संयुक्त आंध्र प्रदेश के तीन बार अध्यक्ष भी रह चुके हैं. जी किशन रेड्डी को बंडी संजय के स्थान पर प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. इसके साथ ही यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि संजय बंडी को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है.
आंध्र प्रदेश बीजेपी की कमान डी. पुरंदेश्वरी को दी गई है. डी पुरंदेश्वरी बीजेपी की संगठन महामंत्री है. इसके साथ पुरंदेश्वरी आंध्र प्रदेश के राजनीति के कद्दावर चेहरे एनटीआर की बेटी भी है. डी पुरंदेश्वरी को प्रदेश की जिम्मेदारी देकर पार्टी है संदेश देना चाहती है कि एनटीआर की विरासत बीजेपी के साथ है. इसके साथ ही पार्टी डी पुरंदेश्वरी के संगठनात्मक क्षमता को महासचिव के तौर पर भी देख चुकी है.
पंजाब बीजेपी की कमान सुनील जाखड़ को दी गई है. बीजेपी सुनील जाखड़ के माध्यम से खुद को पंजाब में स्थापित करना चाहती है. अकाली दल से गठबंधन टूटने के बाद बीजेपी इस कवायद में जुटी हुई थी और सुनील जाखड़ के नेतृत्व में बीजेपी पंजाब में अपने जनाधार का विस्तार करना चाहती है. सुनील जाखड़ के पास राजनीतिक और संगठनात्मक दोनों का लंबा अनुभव है. वे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
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