आदिवासी किसान परिवार में पैदा हुए राजबहादुर मीणा का सरकारी स्कूल से लेकर UPSC से IFS आधिकारी बनने तक का सफर युवा पीढी के लिए बहुत ही प्रेरणादायक साबित हो सकता है IFS अधिकारी की कहानी सुनकर किसी भी युवा को सोचने पर मजबूर कर देंगे संघर्ष से जुड़ी कहानी असफलता से सफलता की ओर करौली ज़िले की नादौती तहसील के खुड़ा निवासी राज बहादुर मीणा IFS आधिकारी बनने का सफ़र बहुत ही कठिन और निराशापूर्ण रहा है IFS अधिकारी राजबहादुर मीणा ने प्रथम प्रयास 2012 में किया था लेकिन यूपीएससी की परीक्षा में असफल रहे फिर उसके बाद एक के बाद एक असफलताऐं मिलती गई यूपीएससी के लिये 10 बार एक दशक और 10 साल तक का सफ़र असफल रहा सपना था यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास करने का लगातार निराशा मिली हिम्मत नहीं हारी लेकिन मेहनत आगे तो क़िस्मत को भी झुकना पड़ता है कहावतें में कहा गया है की संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता गाँव के ही सरकारी स्कूल से प्राथमिक शिक्षा ग्रहण की IFS अधिकारी राजबहादुर मीणा ने माध्यमिक के लिए गाँव से 3 किलोमीटर दूर छोटे से कस्बा से शहर पैदल जाया करते थे क्यूँकि घर में सुविधाओं का अभाव रहा सरकारी स्कूल से 10 वीं पास की और नैनवा चले गये वहाँ हॉस्टल में रहकर मैथ्स साइंस से 11 वीं और 12वीं की पढ़ाई सरकारी स्कूल से की लेकिन फेल हो गये राजबहादुर को स्वयं की लापरवाही का एहसाह हुआ और पिता जी से वादा किया कि वह घर तभी आएगा जब 12 वीं पास हो जाएगी आर्थिक स्थिति कमजोर थी किसान परिवार से होने के बाबजूद कोटा भेज !
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