महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों अटकलों और बयानबाजी का दौर जारी है. एनसीपी में दो फाड़ होने से केवल एनसीपी ही नहीं बल्कि शिंदे गुट वाली शिवसेना भी परेशान है. इसी कड़ी में शिंदे गुट के नेता संजय शिरसाट ने बड़ा बयान दिया है. शिरसाट ने कहा, ‘राजनीति में जब हमारा प्रतिद्वंदी गिरोह हमारे साथ आना चाहता है तो हमें उन्हें शामिल करना पड़ता है और बीजेपी ने यही किया. हालांकि एनसीपी के आने से हमारे पार्टी के कुछ नेता नाराज हैं. क्योंकि उन नेताओं का मानना है कि अजित पवार के खेमे की सरकार में एंट्री होने से उन्हें मनचाहा पद नहीं मिलेगा. हालांकि इसके बारे में हमने सीएम औरक डिप्टी सीएम को बता दिया है.
इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह सच नहीं है कि हमारे सभी नेता एनसीपी के हमारे साथ आने से खुश हैं. अब इस मामले को डिप्टी सीएम और सीएम को हल करना होगा. हम हमेशा एनसीपी के खिलाफ थे. हम शरद पवार के खिलाफ हैं. शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को सीएम के तौर पर इस्तेमाल किया था. जब उद्धव मुख्यमंत्री थे तो शरद पवार सरकार चलाते थे. एकनाथ शिंदे अब कार्रवाई का फैसला करेंगे. बता दें कि जब से अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए हैं और अजीत पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है, तबसे शिंदे गुट में बेचैनी देखी जा रही है.
बेचैनी की वजह ये है कि अजित पवार के साथ आए कई विधायकों ने महाराष्ट्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल हुए हैं, जिससे शिवसेना गुट को लगता है कि उनके नेताओं को मनचाहा पद नहीं मिलेगा. शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने नौ विधायकों के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के पास अयोग्यता याचिका दायर की है.
अजित पवार और छगन भुजबल के साथ दिलीप पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडो, धर्मरावबाबा अत्रम, अदिति तटकरे, संजय बनसोडे और अनिल पाटिल रविवार को एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फड़णवीस महाराष्ट्र सरकार में शामिल हो गए. शरद पवार ने अपने करीबी सहयोगी प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे को “पार्टी विरोधी गतिविधियों” के लिए पार्टी से निकाल दिया है.
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