महाराष्ट्र की 'महाभारत' पर दिल्ली में पोस्टर वॉर! NDMC ने हटाए शरद पवार के होर्डिंग्स तो NVC ने अजित को बताया 'कटप्पा'

महाराष्ट्र में चाचा-भतीजे (शरद पवार vs अजित पवार) के बीच जारी सियासी महासंग्राम की आंच अब राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक आ पहुंची है. गुरुवार सुबह नई दिल्ली नगर निगम (NDMC) ने सड़कों पर लगीं शरद पवार की होर्डिंग्स उतार दिए. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की छात्र ईकाई, राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस ने पार्टी दफ्तर के बाहर फिल्म ‘बाहुबली – द बिगिनिंग’ के एक दृश्य पर डिजाइन किया गया एक पोस्टर लगाया, जिसमें इसके किरदार ‘कटप्पा’ को ‘अमरेंद्र बाहुबली’ की पीठ में छुरा घोंपते हुए दिखाया गया है.

पोस्टर पर बड़े अक्षरों में ‘गद्दार’ के साथ दो लाइनें ​लिखी थीं, ‘सारा देश देख रहा है, अपनों में छिपे गद्दारों को, माफ नहीं करेगी जनता, ऐसे फर्जी मक्कारों को.’ एनसीपी कार्यालय के पास मौलाना आजाद रोड सर्कल और जनपथ सर्कल पर लगे शरद पवार के पोस्टर और होर्डिंग्स नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) ने हटा दिए. शरद पवार आज दिल्ली आ रहे हैं, जहां उन्होंने एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है. महाराष्ट्र में NCP बनाम NCP संकट के बीच कल मुंबई में शरद पवार और अजित पवार ने पार्टी की दो अलग-अलग बैठकें बुलाईं.

अजित पवार ने अपने चाचा शरद गोविंदराव पवार को राकांपा अध्यक्ष पद से हटाते हुए खुद को नेशनल प्रेसिडेंट घोषित कर दिया. वहीं पार्टी में संकट के बीच दिल्ली में एनसीपी कार्यालय से बागी नेताओं प्रफुल्ल पटेल और अजित पवार वाले पुराने पोस्टर हटा दिए गए. इसकी जगह शरद पवार और सुप्रिया सुले के नए फोटो लगाए गए. गुरुवार को दिल्ली में शरद पवार के घर के बाहर ‘सच्चाई और झूठ की लड़ाई में पूरा देश शरद पवार के साथ है’ और ‘भारत का इतिहास ऐसा है कि उसने धोखा देने वालों को कभी माफ नहीं किया है’  जैसे पोस्टर लगाए गए.

खुद को एनसीपी अध्यक्ष घोषित करने के बाद, एनसीपी से अलग हुए धड़े के नेता अजीत पवार ने भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को पत्र लिखा और पार्टी के नाम और प्रतीक ‘घड़ी’ के लिए दावा पेश किया. जवाब में, राकांपा संस्थापक शरद पवार ने चुनाव आयोग के समक्ष एक कैविएट दायर की, जिसमें कहा गया कि अजीत पवार की याचिका पर चुनाव आयोग द्वारा उनके तर्क पर ध्यान देने से पहले कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए. अजित पवार ने चुनाव आयोग के समक्ष प्रतीक आदेश, 1968 के तहत एक याचिका दायर की, जिसमें ’40 विधायकों/एमएलसी/सांसदों’ के हलफनामे और सर्वसम्मति से उन्हें राकांपा अध्यक्ष चुनने का प्रस्ताव भी शामिल था.

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