उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट 15 जुलाई तक सरकार को सौंपा जा सकता है. न्यूज 18 को मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बनाई गई कमेटी अभी भी काम में जुटी हुई है. ड्राफ्ट तैयार हो गया है लेकिन इस बीच केंद्र द्वारा भी यूसीसी के ड्राफ्ट की तैयारियां शुरू कर दी गई हैं, इसलिए स्टेट अपने ड्राफ्ट को और मजबूत करने में जुटा हुआ है. कमेटी ड्राफ्ट के एक-एक रूल के सर्पोटिंग दस्तावेज भी नत्थी कर रही है. इस बीच न्यूज 18 के हाथ ड्राफ्ट से जुड़ी कुछ एक्सक्लूसिव जानकारियां लगी हैं.
यूसीसी का मूल ड्राफ्ट 150 पेज का बनाया गया है. इसमें लिव इन रिलेशनशिप पर रोक नहीं है लेकिन इसे लीगल करने के लिए कड़े प्रावधान किए गए हैं. लिव इन में रहने के लिए डिक्लारेशन फॉर्म भरना जरूरी है. डिक्लारेशन फॉर्म से आधार नंबर भी लिंक करना होगा. लिव इन रिलेशनशिप से पैदा होने वाली संतान को नाजायज संतान नहीं कहे जाएंगे. बच्चे को डिक्लारेशन फॉर्म के आधार पर मां बाप का नाम मिलेगा और अधिकार भी. माइनर और मैरिड लोग लिव इन रिलेशनशिप में नहीं रह सकते.
तलाक लेने की प्रक्रिया अभी बेहद जटिल है. लोगों को सालों साल तलाक लेने में लग जाता है. यूनिफॉर्म सिविल कोड में इस प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है. गोद लेने की प्रक्रिया में भी धर्म के आधार पर प्रावधान हो सकता है. जनसंख्या नियंत्रण को लेकर यूसीसी में कोई प्रावधान नहीं है. यूनिफॉर्म सिविल कोड ड्राफ्टिंग कमेटी की मीटिंगें अभी भी जारी हैं. नौ जुलाई को भी दिल्ली में एक और मीटिंग होने जा रही है. कमेटी की कोशिश है कि ड्राफ्ट केंद्रीय ड्राप्ट से क्लैश न करे, इसके लिए गंभीर अध्ययन भी किया जा रहा है. ड्राप्ट मिलते ही माना जा रहा है कि राज्य सरकार आर्डिनेंस के जरिए यूसीसी को लागू कर सकती है. विधानसभा के मॉनसून सेशन में इसे सदन से पारित कराने की तैयारी है.
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