यूसीसी मुद्दे पर RSS खुलकर सामने आया, दत्तात्रेय होसबले ने कहा- यह संविधान का हिस्सा, विरोध करने वाले इसके मायने नहीं जानते

आरएसएस (RSS) के महासचिव दत्तात्रेय होसबले (Dattatreya Hosabale) ने कहा कि समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code-UCC) भारतीय संविधान (Constitution) का अभिन्न अंग है और इसका सुझाव इसके निर्माताओं ने दिया है. यह पहली बार है, जब संगठन ने इस प्रस्ताव पर विवाद के बारे में बात की है. होसबले ने कहा कि यह भाजपा द्वारा प्रचारित विचार नहीं था और संघ ने कभी भी इसको लागू करने के लिए केंद्र सरकार से संपर्क नहीं किया. News18 के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में होसबाले ने कहा कि समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर पैदा हुई गलतफहमी ‘समाज को और विभाजित करेगी.’

दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि ‘जब तक समान नागरिक संहिता लागू नहीं हो जाती, तब तक लोकतंत्र में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से इस पर चर्चा होनी चाहिए. इसीलिए विधि आयोग ने राय मांगी है. कई लोग इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन जो लोग ऐसा कर रहे हैं वे नहीं जानते कि यूसीसी क्या है.’ आरएसएस के महासचिव होसबोले गुरुवार को ‘राजनीति के साथ हिंदुत्व का प्रयास: डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की विरासत’ विषय पर एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नई दिल्ली में थे. उन्होंने कहा कि ‘यूसीसी भाजपा का विचार नहीं है. इसका सुझाव संविधान निर्माताओं ने दिया था. यह नीति निर्देशक सिद्धांतों में है. आखिर यह निदेशक सिद्धांतों में क्यों है?’

दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि ‘यह निदेशक सिद्धांतों में इसलिए है क्योंकि यह संविधान का हिस्सा है. यह राज्य की संरचना का भी अभिन्न अंग है, जिसका अर्थ है कि प्रशासन, शासन, कानून निर्माण आदि इसके आधार पर हो सकते हैं. मुस्लिम और हिंदू कई चीजों पर अटकलें लगा रहे होंगे, लेकिन यूसीसी केवल उन्हीं के बारे में नहीं है.’ होसबले ने इस बारे में विस्तार से बताया कि कैसे यूसीसी केवल बहुविवाह या मुसलमानों की अन्य सामाजिक प्रथाओं के बारे में नहीं है.

दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि यह भरण-पोषण, विरासत, उत्तराधिकार, आदिवासियों सहित अन्य से संबंधित सामाजिक और कानूनी मामलों से जुड़ा था. उन्होंने कहा कि ‘जब उत्तराखंड सरकार ने न्यायिक अधिकारियों सहित एक समिति नियुक्त की, तो लगभग 4.5 लाख लोगों ने अपनी राय दी थी. इसमें मुश्किल से 0.01 फीसदी या मुस्लिम समाज के बारे में कुछ भी नहीं था जबकि 99.9 फीसदी भरण-पोषण, विरासत, विवाह अधिनियम, उत्तराधिकार, संपत्ति कानून, आदिवासियों के बारे में था. लोगों से एकत्र किए गए सुझावों और राय में ये बातें शामिल थीं.’

 

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