‘जयगुरुदेव नारा लगाते चले हैं, दुःखीजन को बाबा जगाते चले है।।’ ‘नशा त्याग शाकाहार अपनायें। माँ बहनों की लाज बचायें।।’ ‘आपस में सब प्रेम बढ़ायें। खिलकत को खुशहाल बनायें।’ आदि संदशों के साथ जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज महाराज ने तह. केकड़ी के गाँव मेहरू खुर्द में आयोजित सत्संग समारोह में अपने प्रवचन में कहा कि प्रभु-परमात्मा ने जीवात्मा यानि रूह को इस जिस्मानी मस्जिद, कुदरती मंदिर में कैद कर पर्दा डाल दिया। भूल-भुलैया का पर्दा पड़ने से मां के गर्भ में भक्ति और भजन करने के वादे को आदमी भूल गया। जब तक भूल-भुलैया का पर्दा नहीं हटेगा, मालिक को नहीं पा सकते। परमात्मा जीते जी मिलता है। मरने के बाद नहीं। महात्मा मिलेंगे तो रास्ता बतायेंगे। बिना मर्मभेदी संत सत्गुरु, मुर्षिद के मिले, प्रभु प्राप्ति असम्भव है।
उन्होंने कहा कि परमात्मा की भक्ति व भजन के लिये सबसे पहले मानवतावादी बनना अनिवार्य है। बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने आवाज लगाई कि सभी लोग अपने-अपने दीन-ईमान पर वापस आ जाओ। ईमान-ईखलाक बरकरार रखो। मानव धर्म, मानव कर्म का पालन करो। ताकि तुम्हारी आत्मा/रूह नर्कों दोजखों में जाने से बच जाये। उन्होंने चरित्र को मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी बताते हुये चरित्र उत्थान पर जोर दिया। चरित्र निर्माण को आजकी सबसे बड़ी पूंजी कहा। चरित्र के अभाव में मानव की कोई कीमत नहीं। बिना चरित्र के अरबपति, खरबपति दो कौड़ी के बराबर नहीं। चरित्र पतन व बढ़ते मांसाहार एवं नषाखोरी पर चिन्ता व्यक्त की। सभी मानव जाति व धर्म के लोगों से षाकाहारी बनने व नषा मुक्त जीवन जीने की अपील की। यह भी कहा कि जिस षराब को पीने से मां, बहन, बेटी की पहचान खत्म हो जाती है, उस षराब के पीेने से यह कैसे पता चलेगा कि क्या अच्छा, क्या बुरा है। बाबा जयगुरुदेव के अनन्य भक्त ने कहा कि मेरे गुरु महाराज परम सन्त बाबा जय गुरुदेव जी महाराज ने आजीवन अच्छे समाज के निर्माण के लिये सतत अथक परिश्रम किया। उसी का परिणाम है कि आज घर-घर में यह नारा गूंज रहा है कि बाबा जयगुरुदेव जी महाराज का कहना है, शाकाहारी रहना है। बीसों करोड़ लोगों का हृदय परिवर्तन कर उनके हाथों से हथियार, लाठी, डण्डे, बन्दूकें, फेंकवा कर भगवान के भजन की माला पकड़ा देना कोई साधारण बात नहीं है।
उन्होंने यह भी दोहराया कि महात्मा जाति, मजहब, कौम-कौमियत बनाने नहीं आते, वह लोगों के हाथों में डण्डे तलवारें या बन्दूक पकड़ाने नहीं आते, वह तो सबको अपना समझते हैं, सबके कल्याण का काम करते हैं। महात्मा समदर्षी होते हैं। सबमें प्रभु, परमात्मा का अंष, खुदा का नूर देखते हैं। बाबा पंकज जी महाराज ने कहा कि जाति, मजहब की लड़ाईयां, अज्ञानता और महापुरुशों की तालीमों व षिक्षाओं से भटक जाने का परिणाम है। उन्होंने चिन्ता जताई है कि नफरत, घृणा की ऐसी ज्वाला जली कि घर, परिवार, समाज, जातियाँ ही नहीं सारा देश जल उठा। सारी मानवता थक गई, सबको ऐसी छांव चाहिये, जहां ठण्डक मिले। वह महापुरुषों के पास ही मिलेगी महाराज जी ने कहा कि यह विचार करने का विशय है कि हम कहां से आये? मरने के बाद कहां जायेंगे? हमारे भाई-बन्धु, रिष्तेदार कहां जायेंगे? इन प्रष्नों का हल तभी हो सकता है जब प्रभु की प्राप्ति करने वाले कोई महापुरुष मिल जायेंगे और हम उनके बताये रास्ते पर चलके अपनी सुरत (आत्मा) को जगा लें। संत पंकज जी ने बताया आगरा-दिल्ली बाई पास पर मथुरा में वरदानी जयगुरुदेव नाम योग साधना मन्दिर बना है, जहां एक बुराई चढ़ाने पर एक मनोकामना की पूर्ति होती है। यहीं पर आगामी 20 से 24 दिसम्बर तक 75वां जयगुरुदेव वार्षिक सत्संग-मेला आयोजित होगा। आप सभी को निमन्त्रण है मथुरा पधार कर दया, दुआ, आशीर्वाद प्राप्त करें।
इस अवसर पर राजस्थान संगत के प्रान्तीय अध्यक्ष विष्णु कुमार सोनी, उपाध्यक्ष हरिनारायण ‘भोपा जी’, अध्यक्ष संगत अजमेर राजेन्द्र सोनी, अशोक मीणा, जयगुरुदेव संगत भीलवाड़ा के जिला प्रवक्ता अनिल कुमार सोनी, नारायण टांक, उदयलाल सोनी, सुगन जाट, पंकज सेन, त्रिलोक सेन, राम अवतार मीणा ठेकेदार, रामजी जाट, नन्द भंवर कहार, समरथ , भंवर लाल मीणा, दुर्गालाल मीणा, बजरंग कहार, जीतराम गुर्जर, रामदेव रेगर ‘नेता जी’, फूल सिंह रावत, रामधन जाट, रामराज जाट, लालाराम मीणा, भगवन्त सरपंच, सांवरा जाट सहित संस्था के कई पदाधिकारी व प्रबन्ध समिति व सामान्य सभा के कई सदस्य मौजूद रहे। अगला कार्यक्रम 13 जुलाई को चितीवास तह. केकड़ी जिला अजमेर में सायं 3 बजे से आयोजित होगा।
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