स्कूल में पढ़ने वाले किशन माली ने मीडिया को बताया कि में स्कूल में तिलक लगाकर आया मेरे साथ मेरे साथ अन्य दोस्तो ने भी तिलक लगाया हम सभी ने पहली बार तिलक लगाया था क्योंकि इससे पहले हमारे स्कूल में तिलक लगाने पर पाबन्दी है इस कारण डर के कारण कोई तिलक नही लगाता में स्वयं दो तीन दिन से तिलक लगाकर स्कूल आ रहा था कल मुजे लंच टाइम में पकड़कर कहा कि तिलक लगाकर क्यों आते हो इस पर मैने कहा कि में "हिन्दू " हु इसलिये इस पर लंच ब्रेक में फ़ादर ने मेरे गाल पर पांच से छः थप्पड़ जड़ दिए और मुजे प्रिंसिपल ऑफ्फिस के बाहर खड़ा रखा छात्र ने बताया कि फादर ने मेरे पिताजी को बुलाया और मेरे पिताजी से कहा कि आप अपने बच्चे की हाथों हाथ टीसी ले जाइए इस पर मेरे पिताजी ने फ़ादर से कहा कि मेरे बेटे ने ऐसा कौनसा अपराध किया है जिस पर आप हाथों हाथ टीसी देने की बात कर रहे हो तिलक लगाकर आया है इस पर मैने फ़ादर से कहा कि तिलक लगाकर कल भी आऊँगा आज जब सुबह भी में जब स्कूल आया तो तिलक लगाकर ही आया आज विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता जब स्कूल पहुचे तो उन्होंने फ़ादर से कहा कि जो घटना हुई है उसके लिए माफी मांगे इस पर फ़ादर ने घटना को लेकर माफी मांग ली जिसके बाद मामला शांत हुआ विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारि शुभम शर्मा ने कहा कि प्रिंसिपल ने घटना को लेकर माफ़ी मांग ली है उन्हें चेतावनी दी है कि अगर भविष्य में इस तरह का स्कूल में किसी छात्र पर दबाव व उसके साथ मारपीट की जाती है तो इस तरह का काम कोई काम स्कूल में किया गया तो स्कूल को हमेशा के लिए बंद करवा देंगे ।।
ऐसी अनेकों घटनाएं है जो किसी ना किसी कान्वेंट स्कूलों में या मिशनरी आए दिन घटित होती है जिन पर कार्यवाही के नाम पर बस खानापूर्ति की जाती है हम अपने धर्म को खुलकर नहीं बना पाते इस तरह की कुछ सत्य घटनाएं "राजस्थान की राजनीति " आपको इन सबसे रूबरू करवा रहा है यह सब घटनाएं घटित हुई है ।।
हाल ही में झारखंड के धनबाद जिले के सेंट ज़ेवियर स्कूल की एक छात्रा उषा को अपनी जान इसलिए देनी पड़ी क्योंकि उसने सावन के पहले सोमवार के दीन स्कूल में एक बिंदी लगाकर चली गई वहां के प्रिंसिपल ने उषा को बहुत प्रताड़ित किया स्कूल में सबके सामने अपमानित भी किया और बिंदी को भी हटाया व साथ ही सबके सामने थप्पड़ भी मारा जिसके बाद स्कूल की छात्रा उषा ने अपने घर आकर आत्महत्या कर ली वही उषा की स्कूल ड्रेस से एक सुसाइड नोट भी मिला जिसमे लिखा था कि माँ मुजे माफ़ करना स्कूल में प्रिंसिपल ने मुजे सबके सामने थप्पड़ मारा मुजे बहुत अपमानित किया सुसाइड नोट में मिस का नाम ,प्रिंसिपल का नाम व स्कूल का नाम लिखा हुआ था उसमे स्कूल द्वारा अवमानवीय व्यवहार के बारे में भी लिखा हुआ था झारखंड के धनबाद जिले की इस घटना ने सबको झकझोर के रख दिया सावन के पहले सोमवार पर उषा को क्या पता था कि एक बिंदी के कारण उसे अपनी जान गवानी पड़ेगी उसके बाद लड़की के परिजन स्कूल के सामने प्रदर्शन करने लगे मामला पुलिस तक पहुँचा पता चला कि पुलिस मामले की जांच कर रही है जांच के बाद ही कार्यवाही करेंगे पुलिस ने इस मामले में एक जांच कमेठी बिठाई है जांच रिपोर्ट कब तक आएगी इस इंतज़ार में ऐसे कितने स्कूलो में ऐसी घटनाएँ हो गई होगी कितनी उषा जैसी छात्राएं अपमानित होकर सुसाइड कर चुकी होगी ऐसी घटनाओं में पुलिस उसी समय कार्यवाही करें तो किसी की जिंदगी बचाई जा सकती है उषा के आत्महत्या की घटना झारखंड के धनबाद जिले की है जहां सावन के पहले सोमवार में उषा माथे पर बिंदी लगाकर स्कूल चली जाती है उसे नही पता था कि सेंट जेवियर स्कूल में एक छोटी सी बिंदी लगाने पर इतनी बड़ी सजा मिलेगी अगर उषा के गले मे क्रॉस लटका हुआ रहता तो उसे सेंट जेवियर स्कूल में सबके सामने सम्मानित किया जाता लेकिन सेंट जेवियर स्कूल के स्टॉफ को तो बिंदी से नफरत थी "उषा का मामला ना पहला है ना आखरी" या यूं कहें कि धर्मांतरण के अड्डे बने कोनवर्ट स्कूल को हिन्दू संस्कृति, पहनावे , रीतिरिवाजों से यह पहली व आखरी नफरत के बाज़ार में घिनोनी दुकानें खोल रहा है ।।
मध्यप्रदेश के इंदौर में एक स्कूल में माथे पर तिलक लगाकर आने वाले बच्चों को टीचर ने मारे थप्पड़ स्कूल में नही दी एंट्री एक बच्चे को स्कूल के बाहर कर दिया गया परिजनों को जब यह खबर पता चली तो स्कूल के बाहर हंगामा खड़ा हो गया मामला तिलक ओर बिंदी तक ही नही सीमित है समय थोड़ा ही गुजरा है जब फतेहपुर के सेंट मेरी कान्वेंट स्कूल की छात्राओं को अपना त्यौहार मनाना काफी महंगा पड़ रहा था रक्षाबंधन के बाद कुछ स्कूल की छात्रा हाथों में मेहंदी लागकर स्कूल पहुँची कुछ स्कूल छात्राओं को स्कूल प्रशासन ने सजा के तौर पर धूप में ना ही खड़ा किया बल्कि छात्राओं के हाथों में बंधी राखियों को काट कर फेंक दिया गया छात्राओं के हाथों में लगी महेंदी को पत्थर से घिस कर हटाया गया पता नही कब जांच आई कब कार्यवाही हुई लेकिन इस घटना के बाद शायद ही कोई स्कूली छात्रा अपने त्योहारों पर मेहंदी लगाकर स्कूल गई होगी।
लेकिन इस घटना के बाद कानपुर में सेंट मेरी कान्वेंट द्वारा मेहंदी लगाना हिन्दू लड़कियों को कड़ी सजा दी गई उनके हाथों को पत्थर से रगड़कर उन्हें मेहंदी धोने के लिए मजबूर किया गया जिससे उनके हाथों में से खून भी बहने लगा था।।
इसी साल जनवरी में मध्यप्रदेश के खंडवा में सेंट जोसेफ कान्वेंट स्कूल में हिंदी बोलने पर आर्थिक दंड लगाने की भी सूचना आई थी जिस पर शिकायत मिलने पर सम्बंधित अधिकारियों ने इस पर संज्ञान लेते हुए वहां पढ़ रहे बच्चों से पूछा तो बच्चों ने कहा कि हिंदी ही नही माथे पर तिलक , बिंदी , हाथों में कड़ा, गले मे देवताओं के लॉकेट पहनने पर भी आर्थिक दंड लगा देते है मिशनरी हर उस चीज से नफरत करति है जो सनातन धर्म का हिस्सा है।।
जून 2016 की खबर थी कि बेंगलोर के सेंट विसेंट पलोटी स्कूल में महज एक 3 साल के एल के जी में पढ़ने वाले छात्र को निष्कासित कर दिया था क्योंकि बच्चे के परिवार ने हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार बच्चे के सिर में शिखा ( चोटी) रख रखी थी जब इसका कारण पूछा गया तो प्रिंसिपल पॉल डिसूजा ने निष्कासन को उचित ठहराते हुए कहा कि स्कूल के नियम ऐसी अंधविश्वास पूर्ण प्रथाओं की अनुमति नही देते।
भारत मे इन कान्वेंट स्कूल में बड़ी संख्या में हिन्दू बच्चों के साथ भेदभाव होता है तिलक नही लगा सकते ,जनेव धारण नही कर सकते स्कूल में लड़किया हाथों में चूड़ियां माथे पर बिंदी नही लगा सकती और ना ही हाथों में मेहंदी आखिरकार कब समय बदलेगा स्कूलों में बच्चों के साथ आखिरकार यह भेदभाव क्यों ।।
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