मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद 2023 के पंचायत चुनाव परिणामों ने वाम दल की वापसी के संकेत दिए हैं. इसने यह भी कहा कि राज्य में तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) काम नहीं कर पा रही हैं.
पार्टी ने दावा किया कि पंचायत चुनावों में कांग्रेस और आईएसएफ के साथ उसका मत प्रतिशत 21 प्रतिशत हुआ है जो विधानसभा चुनाव के 10 प्रतिशत से अधिक है. माकपा की केन्द्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘स्पष्ट संकेत हैं कि वाम आगे बढ़ रहा है.’
वाम, कांग्रेस और आईएसएफ के संयुक्त मत प्रतिशत में वृद्धि ने चुनावी लड़ाई को तृणमूल तथा भाजपा के बीच दोहरे मुकाबले के बजाय त्रिकोणीय बना दिया है. वहीं, 2019 के लोकसभा तथा 2021 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला दोतरफा ही था.
वाम दल, भाजपा और तृणमूल कांग्रेस पर मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए धर्म तथा राजनीति को मिलाने का आरोप लगाते रहे हैं. वाम दल 2019 के लोकसभा चुनाव में कोई चमत्कार नहीं दिखा सका और 2021 के विधानसभा चुनाव में भी कोई सीट नहीं जीत सका, लेकिन अब उसने दावा किया है कि वह पश्चिम बंगाल में मजबूत हो रहा है.
वर्ष 2018 के पंचायत चुनावों में तृणमूल कांग्रेस ने 34 प्रतिशत सीट निर्विरोध जीती थीं, वहीं विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं पर धमकाने और हिंसा करने का आरोप लगाया था. माकपा ने दावा किया कि भाजपा को राज्य में 2021 में हुए विधानसभा चुनाव में 38 प्रतिशत वोट मिले थे और उसे 2023 के पंचायत चुनावों में लगभग 22 प्रतिशत वोट मिले हैं. माकपा ने कहा कि वह 2021 के उपचुनाव के बाद मजबूत हुई है और उसका मत प्रतिशत तेजी से बढ़ा है.
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