मुस्लिम पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर दाखिल किया जवाब,मामले की अगली सुनवाई की तारीख सात जुलाई नियत की गई

 वाराणसी(यूपी)
ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने का आग्रह करते हुए वाराणसी की जिला अदालत में दायर याचिका पर मुस्लिम पक्ष ने सोमवार को अपनी आपत्ति दाखिल की। मामले की अगली सुनवाई की तारीख सात जुलाई नियत की गई है। ज्ञानवापी और आदि विश्वेश्वर मामलों के विशेष अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने सोमवार को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला न्‍यायाधीश ए.के. विश्वेश की अदालत में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सोमवार को अपनी आपत्ति प्रस्तुत कर दी। मिश्रा ने बताया कि अदालत ने अगली सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है।


अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने कहा कि कमीशन की रिपोर्ट और एएसआई के जांच के बाद दी गई आख्‍या को साक्ष्‍य इकट्ठा करने के उद्देश्‍य से कतई नहीं मंगाया जा सकता है। बिल्डिंग से जो सम्‍बन्धित वास्‍तविक तथ्‍य हैं, उसको जुबानी साक्ष्‍य से साबित नहीं किया जा सकता। ऐसी स्थिति में साक्ष्‍य इकट्ठा करने के लिए एएसआई से रिपोर्ट मांगने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है, जो विधि विरुद्ध है और कानूनन पोषणीय नहीं है।

 


मस्जिद कमेटी ने कहा कि वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने आठ अप्रैल 2021 को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने के आदेश के खिलाफ उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी सेंट्रल वक्‍फ बोर्ड की याचिका और एक अन्‍य याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में विचाराधीन है। दोनों ही याचिकाओं पर न्‍यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। ऐसे में उन्‍हीं बिंदुओं पर दोबारा उसी सम्‍पत्ति के बाबत एएसआई सर्वे कराने का प्रश्‍न ही नहीं उठता है। लिहाजा यह याचिका खारिज की जानी चाहिए।


मिश्रा ने बताया कि मसाजिद कमेटी को 19 मई को ही वाराणसी जिला अदालत में पूरे ज्ञानवापी परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से सर्वे कराने के आदेश देने के आग्रह वाली याचिका पर अपनी आपत्ति दाखिल करनी थी, लेकिन उसी दिन ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग को लेकर उच्‍चतम न्‍यायालय में सुनवाई के चलते आपत्ति दर्ज नहीं हो पाई थी। 16 मई को वाराणसी की जिला अदालत ने काशी विश्‍वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के पूरे परिसर का भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण से सर्वेक्षण कराने का आग्रह करने वाली याचिका सुनवाई के लिए मंजूर कर ली थी।


अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने स्थानीय अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें मस्जिद परिसर के अंदर स्थित मां श्रृंगार गौरी स्थल पर नियमित पूजा के अधिकार की मांग की थी। अप्रैल 2022 में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वेक्षण का आदेश दिया था। मुस्लिम पक्ष के विरोध के बीच सर्वेक्षण अंततः मई 2022 में पूरा हुआ था। इसी दौरान हिंदू पक्ष ने मस्जिद परिसर के अंदर वजू के लिए बने तालाब में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया था। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया था।


इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर गत 12 मई को इस कथित शिवलिंग का वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था, मगर उच्चतम न्यायालय ने 19 मई को इस आदेश पर रोक लगा दी थी। अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों को सुने बगैर की जाने वाली किसी भी कार्रवाई को जल्दबाजी मानते हुए अपने अगले आदेश तक निचली अदालत के आदेश पर अमल नहीं करने को कहा था।

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