राजस्थान के टोंक जिले की एक ग्राम पंचायत में भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां सरपंच और सचिव मृत लोगों के नाम पर फर्जीवाड़ा कर सरकार को चूना लगा रहे थे. फर्जीवाड़े का यह खेल सालों से चल रहा था. इसमें मृत लोगों का जॉब कार्ड बनाकर मनरेगा योजना का पैसा लिया जा रहा था. मामले की शिकायत मिलते ही जिला परिषद ने जांच के लिए 3 सदस्यीय टीम गठित कर दी है.
टोंक जिले के देवली पंचायत समिति के ग्राम निवारिया में भ्रष्टाचार का खेल लंबे समय से चल रहा है. जिला कलेक्टर चिन्मयी गोपाल और जिला परिषद सीईओ को गांव के लोगों ने ज्ञापन सौंपकर मामले की शिकायत की है. शिकायत के अनुसार सरपंच और सचिव मृत लोगों के नाम पर मनरेगा योजना में फर्जीवाड़ा कर रहे थे. सरपंच और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारियों ने फर्जी तरीके से भुगतान उठाने के लिए मृत लोगों के नाम मस्टरोल में जोड़ दिए थे. मर चुके लोगों के नाम से जॉब कार्ड बनाकर भुगतान ले रहे थे.
ग्रामीणों की शिकायत के मुताबिक गांव में सरपंच और अधिकारियों की मिलीभगत से साल 2020 जनवरी से अब तक मनरेगा और कई निर्माण कार्यों में लगातार भ्रष्टाचार किया गया. इनमें मृत लोगों के नाम से फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए. जब जिला अधिकारियों को भुगतान उठाने की सूची सबूत के साथ मिली तो वे हैरत में पड़ गए. बताया जा रहा है कि साल 2020 में 1500 जॉब कार्ड जारी किए गए थे. इनमें से 350 जॉब कार्ड फर्जीवाड़ा कर मृतक और अपात्र लोगों के नाम पर बना दिए गए थे. इसका भुगतान सरपंच मुकेश मीणा और अन्य जिम्मेदार उठा रहे थे.
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