मणिपुर के 5 जिलों से कर्फ्यू हटाया, कुछ जिलों में ढील, गृहमंत्री की चेतावनी के बाद 140 लूटे गए हथियार सरेंडर

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा हिंसा प्रभावित पूर्वोत्तर राज्य के लिए शांति कायम रखने की योजना की घोषणा के एक दिन बाद मणिपुर के पांच जिलों से कर्फ्यू हटा दिया गया है. इसके अलावा कुछ अन्य क्षेत्रों में भी ढील दे दी गई है. राज्य पुलिस ने कहा कि गृहमंत्री की चेतावनी के बाद मणिपुर में 140 हथियारों को सरेंडर किया गया है. एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद पुलिस शस्त्रागार से 2,000 हथियार लूट लिए गए थे.

अमित शाह ने मणिपुर के चार दिवसीय दौरे के दौरान कई ग्रुपों से मुलाकात कर शांति कायम रखने की अपील की. उन्होंने गुरुवार को लूटे गए हथियारों को सरेंडर कराने को कहा और हथियार नहीं देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी. उन्होंने राज्य में शांति बहाल करने की योजना के तहत हिंसा की जांच और एक शांति समिति की भी घोषणा की. पुलिस ने कहा कि पिछले 24 घंटों में मणिपुर के विभिन्न जिलों में 140 हथियारों का सरेंडर किया गया. इन हथियारों में एके-47, इंसास राइफल्स, आंसू गैस, स्टेन गन, एक ग्रेनेड लॉन्चर और कई पिस्तौल शामिल हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘ये सभी सर्विस पैटर्न हथियार हैं और प्रतिबंधित हैं.’ गृहमंत्री ने चेतावनी दी थी कि सुरक्षा बल हथियारों की तलाश शुरू करेंगे. उन्होंने आतंकवादी समूहों से अभियानों के निलंबन या एसओओ के नियमों का पालन करने के लिए भी कहा. उन्होंने कहा था, ‘अगर नियम तोड़े जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी.’

केंद्र ने 2008 में दो समूहों – यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (यूपीएफ) और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन के साथ सस्पेंशन समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इन दो समूहों से जुड़े समूहों – उनमें से 24 – ने केंद्र के साथ एसओओ समझौता किया था. उन्होंने कहा, ‘इन समूहों के कैडर की संख्या करीब 2,200 है. उन्होंने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, लेकिन अपने हथियारों को आत्मसमर्पण नहीं किया था.’

अमित शाह ने कल राज्य में स्थिरता बहाल करने की योजना के तहत हिंसा की जांच और शांति समिति की भी घोषणा की थी. एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में एक पैनल जातीय हिंसा की जांच करेगा. राज्यपाल की अध्यक्षता वाली शांति समिति में सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह और नागरिक समाज के सदस्य शामिल होंगे.

जातीय हिंसा पहली बार तब भड़की जब तीन मई को पहाड़ी जिलों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मैतई समुदाय की मांग के विरोध में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ का आयोजन किया गया था.

Written By

DESK HP NEWS

Hp News

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
दौसा सीट पर पायलट और किरोड़ी की प्रतिष्ठा दांव पर, SC-ST वर्ग के मतदाता सर्वाधिक, दस साल से कांग्रेस का कब्जा | विधानसभा उपचुनाव में वसुंधरा-पायलट की भूमिका होगी अहम, बीजेपी-कांग्रेस के ये दिग्गज भी दिखाएंगे अपना दम! | करंट से युवक की मौत, मासूमों के सिर से उठा पिता का साया गम मे बदली दिवाली की खुशियां | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | गाजियाबाद में पड़ोसी ने युवती के साथ किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार | मदरसे में 7 साल के बच्चे की संदिग्ध हालत में मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा | रक्षाबंधन पर भाई ने उजाड़ दिया बहन का सुहाग, दोस्त के साथ मिलकर की बहनोई की हत्या, आरोपी गिरफ्तार | गाजियाबाद में नामी स्कूल की शिक्षिका को प्रेम जाल में फंसा कर धर्मांतरण के लिए किया मजबूर, आरोपी गिरफ्तार | यूपी टी-20 प्रीमियर लीग के उद्घाटन समारोह के लिए सीएम योगी को मिला आमंत्रण |