हिमाचल प्रदेश आर्थिक बदहाली के दौर से गुजर रहा है. प्रदेश की आर्थिक स्थिती सुधारने के लिए बड़े निवेश की जरूरत है, लेकिन हैरानी इस बात की है कि जो निवेश एमओयू के जरिए आया उनमें से अधिकतर पर काम शुरू नहीं हो पाया. प्रदेश में 31 हजार करोड़ रुपये की 79 ऐसी औद्योगिक परिजनाएं हैं, जो केवल फाइलों में ही हैं. इन प्रोजेक्ट को लेकर पूर्व सरकार के समय में एमओयू हुए थे. इन परियोजनाओं को लेकर कागजी कार्रवाई जरूर हुई, लेकिन अब तक फाइलों में ही हैं. उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इसकी पुष्टि की है.
उद्योग मंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार के समय इन्वेस्टर मीट की गई. कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, एमओयू किए गए, लेकिन धरातल पर कोई उद्योग स्थापित नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अब इन लंबित प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करेगी. सीएम ने आदेश दिए हैं कि 50 करोड़ रुपये से ऊपर की सभी परियोजनाओं की समीक्षा की जाएगी. अगले हफ्ते इसको लेकर बैठक की जाएगी और इसका पता लगाया जाएगा कि आखिर किस वजह से प्रोजेक्ट फाइलों से आगे नहीं बढ़ पाए.
उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा 31 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं में उद्योग विभाग के 46 प्रोजेक्ट हैं. ऊर्जा विभाग के 20 प्रोजेक्ट हैं और 13 प्रोजेक्ट पर्यटन विभाग हैं. उन्होंने कहा कि इस संबंध में निवेश करने वाले उद्योगपतियों से भी फीडबैक लिया गया है. उन्होंने कहा कि 7 या 8 जून को सीएम के साथ इस मुद्दे पर बैठक की जाएगी. बैठक में ये भी जानकारी ली जाएगी कि ये प्रोजेक्ट किस स्टेज पर है और किस किस विभाग में फाइलें फंसी हुई हैं.
राज्य सरकार निवेशकों को आकर्षित करने के लिए वर्किंग प्लान बना रही है. इसके लिए एक इन्वेस्टमेंट ब्यूरो बनाया जा रहा है. उद्योग मंत्री ने बताया कि इन्वेस्टमेंट ब्यूरो फाइनल स्टेज पर है और जल्द ही ये ब्यूरो अपना कार्य करना शुरू करेगा. उन्होंने कहा कि निवेशकों की ओर से एक मांग पत्र दिया गया है. सबसे ज्यादा परेशानी विभिन्न विभागों से एनओसी लेने में आ रही है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एक नीति लेकर आएगी, जिसमें एनओसी संबंधी सभी औपचारिकताएं और कागज तैयार करने के बाद एनओसी जारी करने के लिए विभागों को निश्चित समय दिया जाएगा. तय समय में अगर विभाग एनओसी जारी नहीं करता तो उसे डीम्ड एनओसी माना जाएगा.
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