बिहार में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है. बस उन प्रतिभाओं को तराशने की जरूरत है. प्रतिभा को जब एक बार पंख लग जाते हैं, तो फिर उसकी ऊंचाइयों को सभी सलाम ठोकते हैं. ऐसी ही कुछ कहानी जिले के राजनगर प्रखंड के कबड्डी खिलाड़ी लक्ष्मी पासवान की है. ग्रामीण क्षेत्र में संसाधनों के अभाव में पले-बढ़े लक्ष्मी आज कबड्डी की दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नाम कमा चुके लक्ष्मी का बचपन मुफलिसी में गुजरा है.
लक्ष्मी पासवान को खेल में इतनी रुचि नहीं थी, लेकिन एक दिन शहीद भगत सिंह कबड्डी एकेडमी के कोच ने उन्हें खेलने बुलाया और फ्री में कबड्डी सिखाई. इसके बाद उसके कदम बढ़ते चले गए. अंतराष्ट्रीय मैच खेलने के बाद पासवान को सरकारी कोटे के तहत दिल्ली की टीम से खेलने का मौका मिला. अब वह दिल्ली की टीम के साथ कई मैच खेल चुके हैं. हाल ही में वह पुणे में स्टेट लेवल पर दिल्ली की ओर से खेले थे. लेकिन अब उसका मन अपनी बिहार टीम से खेलने का कर रहा है. अब वह भूटान में अंतराष्ट्रीय खेलने जाएंगे. इसके बाद थाईलैंड में कबड्डी खेलेंगे.
हाल ही में हुए अंतरराष्ट्रीय मैच में मधुबनी जिले के लक्ष्मी पासवान ने गोल्ड मेडल जीता था. कुछ दिन पहले 5 देशों के बीच कबड्डी मैच हुआ था. जिसमें भारत के साथ नेपाल, बांग्लादेश, इरान और भूटान की टीम ने भाग लिया था. भारतीय टीम के कैप्टन लक्ष्मी पासवान थे. जीत में सबसे ज्यादा योगदान भी पासवान का ही रहा. इसके लिए पासवान को काफी सराहना मिली. साथ ही राजनगर प्रखंड के अधिकारियों के द्वारा सम्मानित भी किया गया था.
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