झांसी से एक पेचीदा मामला सामने आया है. यहां एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश और उसकी पत्नी को गोली लग गई, जिसके बाद पत्नी की मौत हो गई. वहीं बदमाश गंभीर रूप से घायल होने के कारण अस्पताल में भर्ती था. कहानी में मोड़ तब आया जब पत्नी की तेरहवीं के दिन अस्पताल की तीसरी मंजिल से संदिग्ध परिस्थितियों में गिरने के कारण बदमाश की भी मौत हो गई. इस मामले की जड़ में करोड़ों की जमीन का मामला बताया जा रहा है.
वहीं पुलिस जांच में जो कहानी सामने आ रही है, वह आपको हैरान कर देगी. जानकारी के अनुसार करोड़ों की जमीन को कौड़ियों के दाम विरोधियों को गिरवी रखने के बाद जमीन को वापस लेने के लिए हिस्ट्रीशीटर बदमाश ने खौफनाक साजिश रची. बदमाश ने अपने विरोधियों को फंसाने के लिए पत्नी को गोली मार दी, ताकि केस विरोधियों पर दर्ज हो जाए. लेकिन बदमाश का निशाना चूक गया और उसकी पत्नी की मौत हो गई. पत्नी की मौत से घबराए बदमाश नारायण सिंह ने अपने कंधे पर भी गोली मार ली, जिसके चलते बदमाश गंभीर रूप से घायल हो गया.
दंपत्ति को गोली मारे जाने का सनसनीखेज मामला 26 मई को कटेरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत लौरान गांव का है. जहां हिस्ट्रीशीटर नारायण सिंह की पत्नी की गोली लगने से मौत हो गई थी. वहीं नारायण भी गोली लगने से गंभीर रूप से घायल हो गया था. 26 मई को ही गंभीर हालत में हिस्ट्रीशीटर बदमाश नारायण सिंह को मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, जहां पत्नी की तेरहवीं के दिन संदिग्ध हाल में मेडिकल कॉलेज की सुपर स्पेशलिस्ट बिल्डिंग की तीसरी मंजिल से बदमाश नारायण की गिरकर मौत हो गई. इस घटना के बाद मामला और ज्यादा पेचीदा हो गया.
लारोन गांव के रहने वाले नारायण सिंह के बेटे बृजेंद्र ने आरोप लगाया कि साल 2016 में उसकी गैरमौजूदगी में गांव के ही 7 लोगों ने उसके पिता का विश्वास जीतकर गिरवी रखी जमीन को 5 लाख रुपये में धोखाधड़ी से अपने नाम रजिस्ट्री करवा ली थी. गिरवी रखी जमीन 20 बीघे है. कुछ दिनों बाद मामले का खुलासा हुआ तो मामला चकबंदी में पहुंचा. इस मामले को लेकर नारायण सिंह और गांव के ही 7 आरोपियों की बीच कई बार पंचायत हुई. आखिरी बार की पंचायत ने फैसला हुआ कि नारायण ने गिरवी रखी जमीन के एवज में उधार 5 लाख रुपए लिए थे. उसका सात साल का ब्याज मिलाकर कुल 41 लाख रुपए देने पर बातचीत शुरू हुई. काफी जद्दोजहद के बाद पंचायत में 25 लाख रुपए नारायण सिंह अपनी जमीन वापस लेने के एवज में अपने विरोधियों को देने के लिए तैयार हो गए.
इससे पहले साल 2016 से सात साल में तकरीबन 400 कुंतल गेहूं बतौर ब्याज आरोपियों को देने के बाद भी मृतक के बेटे बृजेंद्र ने कही. बृजेंद्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि गिरवी रखी हुई जमीन को छुड़ाने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे, इस पर जो खेती में पैदावार होती थी उसमें हर साल की फसल बतौर ब्याज आरोपियों को दिया करते थे. बृजेंद्र ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायत में जो फैसला हुआ था, उसके बाद उसके पिता 22 लाख 50 हजार रुपए लेकर पत्नी के साथ सातों आरोपियों के घर गए थे. आरोपियों ने उनके पिता के साथ मारपीट करने के बाद उनके रुपए छीन लिए और माता-पिता को गोली मार दी. जिसमें मां की मौके पर ही मौत हो गई. वहीं पिता गंभीर रूप से घायल हो गए.
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