हिमाचल प्रदेश में सुक्खू सरकार के छह माह का कार्यकाल पूरा हो गया है और सरकार का ‘हनीमून पीरियड’ अब खत्म हो गया है. 12 दिसंबर को हिमाचल प्रदेश में सीएम सुखविंदर सिंह और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री ने आधिकारिक तौर पर कार्यभार संभाला था. अब 12 मई को प्रदेश सरकार का छह माह का कार्यकाल पूरा हुआ और ऐसे में हिमाचल सरकार का हनीमून परियड खत्म हो गया. ऐसे में अब हम आपको सुक्खू सरकार के छह महीने के कार्यकाल के बारे में बताने जा रहे हैं. इस दौरान सुक्खू सरकार ने क्या-क्या फैसले लिए, यही जानकारी आपसे सांझा करेंगे.
दरअसल, छह महीने में कांग्रेस सरकार सरकारी ने कर्मचारियों और महिलाओं और बच्चों के लिए अहम फैसले लिए. वहीं, आर्थिक बदहाली का भी सुक्खू सरकार को सामना करना पड़ा है. हालांकि, अहम बात है कि सरकार की तरफ से आय बढ़ाने के लिए कदम उठाए गए हैं, लेकिन अभी इसका जमीनी स्तर पर फायदा नहीं हुआ है. उधर, केंद्र सरकार ने भी सरकार की राह में रोड़े अटकाए हैं. लोन लिमिट कम करने के अलावा, 1700 करोड़ रुपये की मैचिंग ग्रांट बंद कर दी.
हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों से अपना चुनावी वादा पूरा किया है. ओल्ड पेंशन स्कीम बहाल कर सूबे के 1.36 लाख कर्मचारियों को तोहफा दिया. इससे कर्मचारी खुश हैं. महिलाओं को 1500 रुपये देने की योजना को भी अमलीजामा पहनाया है. हालांकि, अभी महिलाओं को पहली किश्त मिलने का इंतजार है. वहीं, लाहौल स्पीति जिले में तो सभी महिलाओं को सरकार 1500 रुपये देने की घोषणा कर चुकी है. हालांकि, दूसरे जिलों में सभी महिलाओं को 1500 रुपये नहीं मिलेंगे. इस दौरान CM सुक्खू की सुखाश्रय योजना ने भी सुर्खियां बटोरी. अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, पढ़ाई लिखाई के लिए के लिए यह योजना लाई गई. इससे प्रदेश के 6 हजार अनाथ बच्चों को लाभ मिला है.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के 12 दिन बाद ही पेपर लीक की घटना सामने आई थी. जेओए-आईटी का पेपर आयोजन से दो दिन पहले ही लीक हो गया था. इस पर सुक्खू सरकार ने कर्मचारी चय़न आयोग हमीरपुर को भंग कर दिया था. इस मामले में आयोग के सचिव, महिला कर्मचारी सहित अन्य लोग गिरफ्तार किए गए हैं. आयोग की तरफ से आयोजित 18 भर्तियों की अब विजिलेंस जांच कर रही है. सीएम ने कहा था कि जल्द ही नया आयोग बनेगा, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ है. अहम बात है कि सरकार इस आयोग की ओर से आयोजित भर्तियों का रिजल्ट भी नहीं निकाल पाई है, जबकि सुक्खू ने रिजल्ट निकालने की बात कही थी.
सरकार बनने के बाद फरवरी में सुक्खू सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया. बजट में आय को बढ़ाने के लिए शराब की हर बोतल पर मिल्क सेस, बिजली परियोजनाओं पर वाटर सैस लगाया गया. शराब के ठेकों की नीलामी से सरकार को 500 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय हुई. सरकार ने सूबे के 172 हाईड्रो प्रोजेक्ट पर वॉटर सैस लगाने का फैसला किया और दावा किया कि इससे प्रदेश को 4 हजार करोड़ रुपये आय होगी. हालांकि, अब तक यह योजना सिरे नहीं चढ़ी है. केंद्र सरकार, पंजाब औऱ हरियाणा इस योजना का विरोध कर रहे हैं. वहीं, छह महीने में सुक्खू सरकार 6 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है.
सुक्खू सरकार ने दिल्ली और चंडीगढ़ स्थित हिमाचल सदन और हिमाचल भवन में विधायकों को आम आदमी की तरह ही 1200 रुपये प्रति दिन किराया चुकाने के आदेश दिए हैं. सरकारी राशन डिपो में खाद्य तेल 37 रुपये प्रति लीटर सस्ता किया गया है. इस निर्णय से 20 लाख राशन कार्ड धारकों को फायदा होगा. जुलाई से 147 के बजाय 107 रुपये प्रति लीटर तेल मिलेगा. उधर, सरकार बनने के बाद हिमाचल में डीजल पर प्रति लीटर 3 रुपये वेट बढ़ाया गया था.
सुक्खू सरकार के जिस फैसले की सबसे ज्यादा चर्चा इन छह महीनों में हुई, वह हैं दफ्तरों को डिनोटिफाई करना. सीएम सुक्खू ने सरकार बनते ही प्रदेश में भाजपा सरकार के अंतिम आठ महीने में खोले गए 900 दफ्तरों को डिनोटिफाइ दिया था. हालांकि, कुछ संस्थानों को बाद में बहाल कर दिया, लेकिन शिक्षण और स्वास्थ्य तथा दूसरे संस्थान बंद किए गए हैं. इस मसले ने काफी सर्खियां बटोरी.
कांग्रेस पार्टी ने विधानसभा चुनाव गारंटी दी थी कि वह हर साल एक लाख युवाओं को रोजगार देगी. लेकिन छह महीने में सरकार कर्मचारी चयन आयोग की तरफ से आयोजित भर्तियों का रिजल्ट नहीं निकाल पाई है. इससे युवाओं में रोष है. हालांकि, कुछ विभागों में भर्तियां हुई हैं. लेकिन बड़े पैमाने पर कुछ नहीं हुआ है. शिक्षा विभाग में 5200 टीचरों को नौकरी देने की बात सुक्खू सरकार कहती आई है.
हिमाचल प्रदेश आर्थिक संकट से गुजर रहा है. प्रदेश पर 76 हजार करोड़ रुपये कर्ज है, लेकिन सीएम सुक्खू ने डिप्टी CM, छह CPS, राजनीतिक एडवाइजर, IT एडवाइजर, मीडिया एडवाइजर की तैनाती की और कैबिनेट रेंक दिया. इससे राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ा. वहीं, फ्री 300 यूनिट देने के चुनावी वादे को भी कांग्रेस सरकार लागू नहीं कर पाई है.
हिमाचल प्रदेश कैबिनेट में सीएम सहित कुल 12 पद हैं. लेकिन सरकार की तरफ से केवल 9 पदों पर ही तैनाती दी गई है. कैबिनेट में 3 पोस्ट अब भी खाली हैं. लगातार इन्हें भरने की चर्चाएं हो रही हैं. हालांकि, अब तक केवल बयानबाजी ही हुई है. खींचतान के चलते सीएम सुक्खू इन पदों को भर नहीं पाएं हैं.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.