मुजफ्फरपुर की बेटी फलक अभिनीत आधे घंटे की फिल्म ‘चंपारण मटन’ ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड की दौड़ में शामिल हो गई है. इस फिल्म को ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड-2023 के सेमीफाइनल राउंड में जगह मिल गई है. इस अवार्ड के लिए दुनियाभर के फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों की 1700 से अधिक फिल्मों का नामांकन हुआ था. चंपारण मटन का निर्देशन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे के रंजन कुमार ने किया है. स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड चार अलग-अलग श्रेणियों में दिया जाता है. इसमें फलक की फिल्म नैरेटिव कैटेगरी में सेमीफाइनल में चुनी गई, जो 16 फिल्मों से मुकाबला करेगी.
नैरेटिव श्रेणी मेंअर्जेटिना, जर्मनी, बेल्जियम जैसे देशों की फिल्में चुनी गई हैं. चंपारण मटन फिल्म नैरेटिव समेत अन्य तीन श्रेणियों में शामिल भारत की एकमात्र फिल्म है. स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड फिल्म प्रशिक्षण संस्थानों और विश्वविद्यालयों से फिल्म बनाने की पढ़ाई कर रहे छात्रों की फिल्मों को दिया जाता है. यह ऑस्कर की ही शाखा है. यह अवार्ड वर्ष 1972 से दिया जा रहा है. इस अवार्ड से पुरस्कृत कई फिल्में ऑस्कर से नवाजी जा चुकी है. मुजफ्फरपुर की रहने वाली अभिनेत्री फलक बताती हैं कि आधे घंटे की यह फिल्म बिहार के लोगों की अपने रिश्तों के प्रति ईमानदारी और किसी भी हाल में हार न मानने की कहानी है.
इस फिल्म की कहानी लॉकडाउन के बाद नौकरी छूट जाने पर गांव लौटने और पत्नी की इच्छा पूरी करने की कोशिश में लगे एक पति के इर्द-गिर्द है. कहानी की संवेदनशीलता हर किसी के दिल को छू रही है. फलक ने बताया कि फिल्म की दमदार कहानी ही इसके ऑस्कर के स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड में पहुंचने की वजह है. शहर केब्रह्मपुरा निवासी फलक के पिता डॉ. एआर खान और मां डॉ. किश्वर अजीज खान दोनों एलएन मिश्रा मैनेजमेंट कॉलेज में प्रोफेसर हैं. साथ ही दोनों को बेटी की इस उपलब्धि पर गर्व है. फलक की फिल्म ‘चंपारण मटन’ ऑस्कर की दौड़ में शामिल हुईं है. जिसमें यूएस, ऑस्ट्रिया, फ्रांस समेत कई देशों के बीच यह भारत से अकेली फिल्म है, जो स्टूडेंट एकेडमी अवार्ड के सेमीफाइनल तक में पहुंची है.
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