क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनाम राहुल गांधी की लड़ाई का मंच तैयार हो गया है? कांग्रेस में बहुत से लोग यही चाहते हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, सबसे पुरानी पार्टी उत्साहित है और उसने राहुल गांधी को एक निडर नेता के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है, जो प्रधानमंत्री का मुकाबला कर सकते हैं.
बंद दरवाजों के पीछे, कुछ कांग्रेस नेता इस बात पर तंज कसते हैं कि विपक्षी मोर्चे के एक वर्ग ने समझौता कर लिया है या अगर उन पर जांच का दबाव बढ़ता है तो समझौता कर सकते हैं.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुलेआम यह कहकर खासी हलचल मचा दी कि, ‘राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए हमारे चेहरे हैं. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर कोई पीएम मोदी का मुकाबला कर सकता है तो वह वही हैं.’
कांग्रेस भले ही सावर्जनिक रूप से कह चुकी है कि उसे शीर्ष पद में कोई दिलचस्पी नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही पार्टी ने राहुल गांधी को विपक्षी गुट के नेता के रूप में पेश करना शुरू कर दिया था.
बेंगलुरु शिखर सम्मेलन में अन्य विपक्षी दलों को संबोधित करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था, ‘हम पीएम पद पर दावेदारी नहीं करना चाहते हैं.’ लेकिन निजी तौर पर कांग्रेस जानती है कि उसके कैडर को केवल तभी बढ़ाया जा सकता है जब राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया जाए. यह और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अधिकांश राज्यों में यह कांग्रेस बनाम भाजपा के बीच की सीधी लड़ाई है. इसलिए, पार्टी खुद को मजबूत करने और विपक्षी खेमे में बड़े भाई की भूमिका निभाने की जरूरत महसूस करती है.
हालांकि, यही वह मुद्दा है जहां विपक्षी गठबंधन इंडिया (INDIA) के भीतर विरोधाभास सामने आ सकते हैं, जहां आम आदमी पार्टी (AAP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) जैसी समान रूप से महत्वाकांक्षी पार्टियां कांग्रेस के प्रति द्वेष रखती हैं.
इस बीच राहुल गांधी एक और भारत जोड़ो यात्रा पर निकल रहे हैं, जिससे उनके लिए विपक्षी गुट का नेतृत्व करने का दबाव और अधिक आक्रामक और तीखा होना तय है. लेकिन कांग्रेस में इसे लेकर सतर्क चिंतन चल रहा है. यह स्पष्ट है कि फिलहाल पीएम मोदी के पास बढ़त है और 2024 की लड़ाई को उनके और राहुल गांधी के बीच बताने से बीजेपी को और मदद मिल सकती है.
इस विचार-विमर्श के बीच, कांग्रेस और राहुल गांधी अब नए सिरे से लड़ाई के लिए तैयार हो रहे हैं. कर्नाटक में जीत और आगामी राज्य चुनावों में भी जीत मिलने की उम्मीद से उत्साहित कांग्रेस को लगता है कि राहुल गांधी को पीएम पद का चेहरा बनाना इतना बुरा विचार नहीं है.
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