मैं स्कूल से आने के बाद मोबाइल में खबर देख रहा था। उसमें कोटा में रामपुर के एक कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड की खबर चल रही थी। यह खबर देख मैं चिंता मैं पड़ गया। पता नही क्या हुआ, मैनें तुरंत खबर बंद की और बेटे को कॉल किया। मुझे मेरे बेटे के हाल चाल पूछने थे लेकिन मुझे भी वही बुरी खबर मिली कि मेरा बेटा नही रहा......यह बात कहते कहते पूर्वी चंपारण बिहार के रहने वाले जितेंद्र मिश्रा की आंखों में आंसू छलक पड़े और वह फफक कर रोने लगे। जिस सत्रह साल के बेटे को उन्होंने पढ़ने और इंजीनियर बनने का ख़्वाब देखकर कोटा भेजा था, उसी की लाश को कोटा से वापस अपने गांव लेकर जाना पड़ रहा है। बेटे की लाश देखी तो जोर जोर से रोने लगे, पुलिसकर्मियों और साथ आए रिश्तेदारों ने उन्हें संभाला। जितेन्द्र मिश्रा के बेटे भार्गव मिश्रा ने शुक्रवार को महावीर नगर थर्ड में पीजी में अपने कमरे में पानी के पाईप से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम रूम में शिफ्ट करवा दिया। सूचना पर शनिवार शाम को भार्गव के पिता जितेन्द्र और रिश्तेदार कोटा पहुंचे। पोस्टमॉर्टम रूम के बाहर बैठे पिता की आंखो में आंसू थे, जिन्हें वह बार बार पोंछने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन आंसू थम नहीं रहे थे। जितेन्द्र मिश्रा शिक्षक है। उन्होंने बताया कि- शुक्रवार शाम को करीब पांच बजे मैं स्कूल से लौटकर घर आया था और चाय पीकर मोबाइल में कोटा की खबर देख रहा था। इसमें एक दिन पहले कोचिंग स्टूडेंट्स की मौत की खबर आ रही थी। यह खबर देखते ही मुझे अचानक से पता नहीं क्या हुआ, घबराहट हुई। मेरे बेटे का ख्याल मन में आया। मैंने उसे कॉल किया लेकिन उसने कॉल उठाया नही। मुझे लगा कि वह सो रहा है। लेकिन उस खबर को देखने के बाद मेरी बैचेनी बढ़ गई थी। मैनें सोचा कि देर शाम को कॉल कर लूंगा लेकिन मुझसे रहा नही गया और मैनें फिर से उसे कॉल किया लेकिन कोई जवाब नही मिला। मैनें थोड़ी थोड़ी देर में पांच छ बार कॉल किया लेकिन कोई जवाब नही मिला। अब अगर बच्चा सो रहा होता तो भी इतनी बार कॉल करने पर कॉल तो उठाता। मुझे घबराहट हुई, मैनें मकान मालिक को कॉल किया तो वह बाहर थे। उन्होंने घर पर पता करवाया, दरवाजा खुलवाने की कोशिश की लेकिन कोई जवाब नही मिला। कुछ देर बाद उन्होंने कॉल कर बताया कि मेरे बेटा कमरे में फंदे पर लटका है। मेरे होश उड़ गए, कुछ देर तक कुछ नही बोल पाया।
जितेंद्र ने बताया कि- मैंने तो मेरे बेटे की सलामती की जानकारी के लिए कॉल किया था लेकिन मुझे क्या पता था जो खबर मैं देख रहा हूं, मैं भी उसी का हिस्सा बनने वाला हूं। मेरे बोल नही निकले। मैनें फोन काट दिया। पत्नी ने पूछा क्या हुआ, भार्गव से बात हुई तो समझ नही आया क्या जवाब दूं। थोड़ी देर में परिवार वालों-रिश्तेदारों को बताया। जैसे ही पत्नी ने सुना कि भार्गव की मौत हो गई, वह बेहोश हो गई। मैं खुद को नहीं संभाल पा रहा था, पत्नी को भी संभालना मुश्किल हो गया। परिवार के लोगों ने उसे संभाला। वह बार बार बेटे को याद कर रो रही है और बार बार बेहोश हो जाती है। परिवार में भार्गव एकलौता लड़का था। जब कोटा आने के लिए निकलने लगे तो पत्नी ने कहा कि मेरे बेटे को लेने मैं भी जाऊंगी, लेकिन वह फिर बेहोश हो गई। ऐसी हालत में उसे लाना सही नहीं था।
जितेन्द्र ने बताया कि परिवार के सदस्यों की रोज भार्गव से बात होती थी। एक महीने पहले उसने अपनी मां से बात करने के दौरान कहा था कि उसका कोटा में मन नही लग रहा है। मां ने यह बात जितेन्द्र को बताई तो जितेन्द्र ने भार्गव को कॉल कर कहा था कि अगर मन नही लग रहा है तो वापस गांव आ जाओ। यहां ऑनलाइन क्लास में एडमिशन करवा देंगे। ऑनलाइन पढ़ाई कर लेना, लेकिन उसने मना कर दिया कि वह यही रहकर पढ़ने की कोशिश करेगा। हमने उसे बहुत समझाया था, उसे कहा था कि मन नही लग रहा है तो क्लास में कोई दोस्त बनाओ, जहां रहते हो वहां आस पास स्टूडेंटस है उनसे बात करो। लेकिन वह बहुत रिजर्व था।
कोटा में इस बार कोचिंग छात्रों के सुसाइड का आंकडा बेहद डरावना है। जनवरी से लेकर अब तक सात महीनों में बीस कोचिंग छात्र सुसाइड कर चुके हैं। इनमें ज्यादातर ऐसे स्टूडेंट्स है जिन्हें कोटा आए पांच महीने से भी कम का समय हुआ। यानी हर सप्ताह एक कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड का केस कोटा में आ रहा है। सुसाइड के कारण अलग अलग सामने आ रहे है लेकिन ज्यादातर में पढ़ाई के तनाव को लेकर आत्महत्या करना बात सामने आई है। मनो वैज्ञानिकों के अनुसार ज्यादातर बच्चे अपने एरिया या स्कूल के टॉपर होते है। लेकिन कोटा में देशभर के क्रीम बच्चे आ रहे है। जब क्लास में पहुंचते है, टेस्ट में उनसे पीछे रहते हैं तो तनाव में आना शुरू कर देते है। इसके अलावा होम सिकनेस भी बड़ा कारण है। कई बच्चे रिजर्व होते हैं जो कई बार अपनी परेशानी किसी से शेयर नही करते।
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