मेला की तैयारियो को लेकर जल्द होगी सर्व समाज की बैठक
हलैना(विष्णु मित्तल) हलैना से करीब 7 किमी दूर एवं नदबई उपखण्ड के गांव न्यौंठा स्थित लोकदेवता श्री बाबू महाराज का मन्दिर आस्था का केन्द्र है,जो गुर्जर समुदाय का आराध्य देव एव करीब 500 से अधिक साल पुराना है,गुर्जर समुदाय के अलावा सर्व समाज व मुस्लिम समुदाय के लोग भी आस्था रखते है,सर्व धर्म व जातियों के लोगों को एक साथ देख देशभक्ति,भाई चारा व धर्मनिरपेक्षता की झलक दिखती है,जहां बाबू बाबा के अलावा एक दर्जन देवी.देवताओं की प्रतिमाए तथा आधा दर्जन अन्य धार्मिक स्थल बने हुए है,वर्ष में एक बार लक्खी मेला तथा हर माह लद्यु मेला लगता है,मन्दिर के दर्शन एवं मेला में देश.विदेश के लोग आते है,जिसमें सर्वाधिक सख्यां कुष्ठ,चर्म रोगी एवं सन्तानहीन महिलाएं की होती है,जो दर्शन कर बाबा की धुना की रज लगा,चीनी की प्रसादी चढाते है और अन्नकूट प्रसादी ग्रहण कर बाबू बाबा का गुणगान करते है।
-- किंदवंती पर श्रद्वालुओं का विश्वास
गांव न्यौंठा निवासी लक्षमन सैनी एव लखनलाल पाठक बताते है कि गांव न्यौंठा करीब 500 साल से अधिक पुराना गावं है,जहां गुर्जर,पण्डितवैश्य,सैनी जातियों के अलावा अन्य जाति के लोग रहते है। गांव में प्राचीन बाबू महाराज का मन्दिर है,जिसको लेकर अनेक किंदवंतियां है। गांव का एक ग्वाला दुधारू मवेशियां चराने जंगल में जाता,जिन मवेशियों से एक गाय रोजना पोखर के पास जाती और एक मिटटी के टीले पर उसके चारों थन से दूध की धार निकली,एेसा रोजाना होता, जिसको देख ग्वाला की समझ में कुछ नही आया,कई दिन ऐसा हुआएवह चुप लगा नजारा देखता। ग्वाला ने गाय का पीछा किया,टीले के पास गया,जहां उसे चांदी का सिक्का मिला,ग्वाला ने घर पर जा कर गाय की बात बताई। सभी ने ग्वाला की बात पर विश्वास नही किया और ग्वाला को डरा कर चुप कर दिया। ग्वाला जिसके सिर पर हाथ रख देते वह खुश हो जाता। उन्होने बताया एक बार गांव की महिलाए पोखर पर मिटटी लेने गई,जहां सास.बहू मिटटी खोद रही थी,टीले के पास खुदाई करते समय बहू को भूमि से आवाज सुनाई दी,बहिन मुझे निकाल ले,सास.बहू डर गई,साथ गई अन्य एक महिला ने हिम्मत कर टीले के खुदाई की,जिसमें प्रतिमा निकली,गांव में प्रतिमा को लेकर अनेक चर्चाए होने लगी,गांव के लोगों ने पोखर किनारे एक चबूतरा बना कर प्रतिमा को स्थापित कर दिया। गांव के शिक्षाविद्व पुरूषोत्तम पटेल ने बताया कि बाबू महाराज अवतार की भूमि चम्बल नदी किराने है। जहां हजारों साल पहले 80 साल की सिया ने कठोर तप किया,जो कुष्ठरोग से पीडित थी ओर सन्तान से वंचित,सिया के बाबू महाराज की कृपा से पुत्र की प्राप्ति हुई और कुष्ठरोग से छुटकारा मिला,बाबू महाराज ने सिया को वरदान दिया कि जो कुष्ठ व चर्मरोग से पीडित तथा सन्तानहीन महिला निस्वार्थ भाव से मानव सेवा एवं मूक.बधिर प्राणियों की सेवा करेगा एवं मांस व मदीरा को सेवन नही करेगा,उसे कुष्ठरोग से छुटकारा मिलेगा एवं सन्तान की प्राप्ति होगी। उक्त प्रकरण की चर्चाए दूर.दूर तक फैल गई और भारी सख्यां में लोग बाबू महाराज की पूजा.अर्चना करने लगे।
-- बाबा की रज से मिठता होते चर्मरोग
गांव न्यौंठा निवासी लक्ष्मण सैनी बताते है कि बाबू महाराज मन्दिर पर करीब 465 साल से धुना जल रहा है,जिसकी रज लगाने से चर्मरोग से पीडित व्यक्ति को कुष्ठ,सफेद धब्बा एवं अन्य चर्मरोग से छुटकारा मिलता है और बाब के दर्शन एवं धुना की परिक्रमा लगाने से सन्तान की प्राप्ति होती है। प्रतिसाल मेला लगता है, मेला के दिन 4 से 5 लाख रज की पुडियां वितरण हो जाती है। बाबा की रज पर आमजन को विश्वास कायम है।
- श्रद्वालुओ ने 31 लाख से कराया जीर्णोद्वार
श्री बाबू महाराज मेला कमेटी प्रवक्ता लक्षमन सैनी एवं सचिव लखन पाठक बताते है कि मेला एवं अन्य कार्यक्रम के आयोजन पर आए चढावे से मन्दिर का जीर्णोद्वार तथा मेला का आयोजन किया जाता है। वर्ष 2001 से आज तक करीब 35 लाख का चढावा आया,जिससे हलैना-नदबई सडक मार्ग के पास प्रवेशद्वार,मन्दिर, धर्मशाला आदि का निर्माण कराया गया अब मन्दिर का जीणोद्वार का काम पुरा हो गया है,जिसमें बन्ध वारैठा एवं बंसी पहाडपुर का पत्थर लगा,जिस पर करीब 35 लाख का खर्चा का अनुमान है।
-- मेला का कार्यक्रम तय
श्री बाबू महाराज मेला कमेटी एव गाव के लोगो की बैठक हुई, जिसमे 17 सितम्बर को श्री बाबू बाबा मेला लगेगा। इस मेला की रुपरेखा तय करने को जल्द सर्व समाज की बैठक होगी, जिसने मेला कमेटी गठित कर कार्यक्रम तय किए जाएंगे। लक्ष्मन सैनी ने बताया कि मेले के एक दिन पूर्व संध्या 16 सितम्बर को मय कलश यात्रा के बाबु बाबा की शोभायात्रा निकाली जाएगी, दुसरे दिन 17 सितम्बर को छप्पन भोग व फ़ूल बंगला झाकी, अन्नकूट प्रसादी व रज वितरण, खेलकुद व पशु दौड आदि कार्यक्रम होंगे
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