कांग्रेस सांसदों ने लोकसभा में पार्टी नेता राहुल गांधी के खिलाफ बीजेपी सदस्य निशिकांत दुबे की टिप्पणियों को लेकर मंगलवार को सदन में विरोध प्रदर्शन किया और दुबे की कुछ टिप्पणियों को सदन की कार्यवाही में हटाने की मांग की.
मंगलवार को लोकसभा की कार्यवाही शुरू होने के तुरंत बाद कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने इस मुद्दे को उठाने की मांग की. इस पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि कोई निर्देश नहीं दिया गया है और अध्यक्ष के पैनल के सदस्य, जब वे सदन की अध्यक्षता करते हैं, तो सभी निर्णय लेने के लिए सशक्त होते हैं.
इसके बाद विपक्षी सांसदों के विरोध जारी रखने के कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई. बाद में सदन में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बहस हुई.
दरअसल भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोमवार को लोकसभा में दावा किया था कि न्यूयॉर्क टाइम्स अखबार की एक खबर में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के छापों के हवाले से खुलासा किया गया है कि एक पोर्टल को भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए चीनियों से किस तरह पैसे मिले और वह धन किस तरह नक्सलियों और अन्य लोगों को पहुंचाया गया. दुबे ने आरोप लगाया था कि पोर्टल का प्रमुख ‘देशद्रोही टुकड़े-टुकड़े गैंग का’ एक सदस्य है. इसके साथ ही उन्होंने मांग की थी कि चुनाव आयोग को ‘चीन द्वारा कांग्रेस की फंडिंग; की जांच करनी चाहिए.
दुबे ने बाद में एक ट्वीट में कहा, ‘राहुल की ‘नफरत की दुकान’ चीनी सामानों से भरी हुई है. कांग्रेस की नीति चीन के साथ मिलकर देश को तोड़ने की है. चुनाव आयोग को कांग्रेस की चीनी फंडिंग की जांच करनी चाहिए.’
दुबे ने ‘चीनी प्रोपेगेंडा’ और यूएस टेक मुगल के बीच संबंधों के बारे में एक अमेरिकी-आधारित समाचार पत्र की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया और कहा कि लेख में एक भारतीय समाचार साइट न्यूज़क्लिक का भी उल्लेख है, जिसकी जांच ईडी द्वारा की जा रही है.
उन्होंने आरोप लगाया, ‘वर्ष 2005 से 2014 तक जब भी भारत को कठिनाई का सामना करना पड़ा… चीनी सरकार ने कांग्रेस (राजीव गांधी फाउंडेशन) को फंड दिए, जिसका एफसीआरए लाइसेंस भारत सरकार ने रद्द कर दिया था. 2008 में, जब ओलंपिक आयोजित किए गए थे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी को आमंत्रित किया गया था…’ उन्होंने कहा कि डोकलाम गतिरोध के दौरान राहुल गांधी ने तत्कालीन चीनी दूत से मुलाकात की थी.
वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने सोमवार को पार्टी की ओर से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर निशिकांत दुबे की ‘अपमानजनक’ और ‘मानहानिकारक’ टिप्पणियों को रिकॉर्ड से हटाने की मांग की. कांग्रेस नेता ने लिखा, ‘हम नियम 380 के तहत मांग करते हैं कि उनकी टिप्पणियों को पूरी तरह से हटा दिया जाए और इस बात की जांच की जाए कि इस तरह के आरोप को रिकॉर्ड पर उठाने की अनुमति कैसे दी गई.’
वहीं चौधरी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, ‘दुबे ने (सोमवार को) आधारहीन तथ्यों के सहारे कांग्रेस और राहुल गांधी जी के खिलाफ आरोप लगाए…जब सदन में मंत्री का नाम पुकारा जाता है तो उस सदस्य (दुबे) का माइक ऑन किया जाता है, जो घटिया और आधारहीन बाते करते हैं.’ उन्होंने बताया, ‘हमारी पार्टी और समान विचार वाले दलों की तरफ से लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा गया. हमने लोकसभा अध्यक्ष से मुलाकात भी की. सदन के नियम के अनुसार, बिना नोटिस दिए गए इस तरह के आरोप नहीं लगाए जा सकते हैं.’
चौधरी ने कहा, ‘हमारी शिकायत के आधार पर रिकॉर्ड से घटिया बयान को हटा दिया गया था. चौंकाने की बात है कि रात के समय दुबे की उन बातों को रिकॉर्ड में फिर से शामिल कर लिया गया जिनको लेकर हमने आपत्ति जताई थी. हमारे संसदीय इतिहास में ऐसी कोई नजीर नहीं मिलती.’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘दुर्भाग्य की बात है कि संसदीय नियमों, रीति और परंपराओं की धज्जियां उड़ाते हुए तानाशाही की नजीर संसद के अंदर देखी जा रही है. हम कहां जाएं? इससे देश के लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा होता है.’
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