राजस्थान के सीएम ने नए जिलों के लिए समीक्षा बैठक रखी। बैठक में कई फैसले लिए गए। नव गठित जिलों में राज्य स्तरीय समिति जिला कलेक्ट्रेट और कार्यालयों की भूमि का का चयन होगा। इसके लिए आगामी स्वतंत्रता दिवस पर दो दिन का भव्य कार्यक्रम किया जाएगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि प्रदेश के विकास और जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने नए जिलों और संभागों का सृजन किया है। इन जिलों में विकेन्द्रीकरण से प्रशासन की क्षमताएं बढ़ेगी और कानून व्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
सीएम अशोक गहलोत ने आम जनता के प्रशासनिक कार्यों की सुगमता के लिए अधिकारियों को नए जिलों के जल्द ही पूर्ण रूप से क्रियाशील होने संबंधी दिशा-निर्देश दिए। गहलोत मंगलवार देर रात मुख्यमंत्री निवास पर नए जिलों की समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले 60 वर्षों में मात्र सात नए जिलों का गठन हुआ, जबकि इस अवधि में प्रदेश की जनसंख्या में तीन गुना बढ़ोतरी हुई। जुलाई 2006 में राज्य का नवीनतम प्रतापगढ़ जिला घोषित हुआ था, जो 2008 में क्रियाशील हुआ। राज्य की वर्तमान जनसंख्या एवं भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए हमने 17 मार्च 2023 को नवीन जिले और संभाग के सृजन की घोषणा की थी, जो कि मात्र 5 महीने की अवधि में ही क्रियाशील हो चुके हैं। यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
बैठक में मुख्यमंत्री ने बताया कि सभी नए जिलोंं में जिला कलेक्टर और जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय भी प्रारंभ हो चुके हैं। साथ ही नई रेंजों में एडीजी को रेंज प्रभारी नियुक्त किया जा चुका है। संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्ट्रेट सहित सभी मुख्य विभागों के जिला स्तरीय कार्यालयों के लिए पद सृजन की कार्यवाही की जा चुकी है। पुलिस विभाग ने प्रत्येक नए जिले के लिए 50 कर्मियों का अतिरिक्त जाब्ता आरक्षित करते हुए नए पदों पर पदस्थापन किया जा चुका है। जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक कार्यालयों के सुचारू संचालन के लिए प्रत्येक जिला कलेक्ट्रेट के लिए एक करोड़ रुपये और पुलिस अधीक्षक कार्यालय के लिए 60 लाख रुपये का आवंटन किया जा चुका है। नवीन जिला मुख्यालयों पर सर्किट हाउस सहित समस्त जिला स्तरीय सुविधाएं भी विकसित की जाएंगी। नवीन जिलों में जिला और सत्र न्यायालयों की स्थापना भी की जाएगी। इसके लिए आवश्यक प्रस्ताव उच्च न्यायालय को सहमति के लिए भेजे जाएंगे।
बैठक में बताया गया कि सभी नए जिला मुख्यालयों के वर्तमान मास्टर प्लान को रिव्यू किया जाएगा। साथ ही, यहां सुनियोजित विकास सुनिश्चित करने के लिए टाउन प्लानिंग विशेषज्ञों के सहयोग से विशेष कार्ययोजना तैयार की जाएगी।
बैठक में बताया गया कि मिनी सचिवालय और कलेक्ट्रेट के लिए भूमि चयन को अंतिम रूप अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व की अध्यक्षता में गठित एक राज्य स्तरीय समिति द्वारा दिया जाएगा। इसके लिए नए जिलों से पूर्व में प्राप्त प्रस्तावों को भी इस समिति द्वारा रिव्यू किया जाएगा। सुनियोजित विकास के दृष्टिगत नगर नियोजन विभाग के अधिकारियों की कमेटी द्वारा मौके पर जाकर मिनी सचिवालय/जिला कलेक्ट्रेट हेतु चिन्हित भूमि की उपयुक्तता का परीक्षण किया जाकर राज्य स्तरीय समिति को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। ये समिति यह भी ध्यान रखेगी कि यदि भूमाफियाओं और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा भूमि की खरीद-फरोक्त की गई है, तो आवश्यक होने पर मिनी सचिवालय या जिला कलेक्ट्रेट के लिए चिन्हित भूमि और आसपास के क्षेत्र में भू-रूपांतरण पर रोक भी लगाई जा सकेगी।
बैठक में सैद्धांतिक रूप से निर्णय लिया गया कि जिला मुख्यालय की नगर पालिकाओं को विधिवत रूप से परीक्षण कर नगर परिषद में क्रमोन्नत किया जाएगा। नवीन जिलों में जिला परिषदों के गठन/निर्वाचन तक जिला परिषद संबंधी कार्यों के सुचारू क्रियान्वयन के लिए प्रत्येक नवीन जिले में अतिरिक्त मुख्य कार्याकारी अधिकारी जिला परिषद का एक-एक पद सृजित किया जाएगा। बैठक में विभिन्न जिला स्तरीय समितियों के लिए शीघ्र ही गैर सरकारी सदस्यों को मनोनीत किए जाने का निर्णय भी लिया गया।
मुख्यमंत्री ने नए जिला मुख्यालयों पर स्वतंत्रता दिवस का दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए। इन आयोजनों में दिनांक 14 अगस्त को पर्यटन विभाग द्वारा सांस्कृतिक संध्या, सजावटी लाइटिंग और आतिशबाजी की जाएगी। 15 अगस्त को मुख्यालय पर गरिमापूर्ण स्वतंत्रता दिवस समारोह मनाया जाएगा। बैठक में मुख्य सचिव, उषा शर्मा, महानिदेशक पुलिस उमेश मिश्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व अपर्णा अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव गृह आनन्द कुमार सहित अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित रहे।
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