उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने उस स्कूल के प्रिंसिपल और शिक्षक को जमानत दे दी है जहां एक छात्रा ने स्कूल की तीसरी मजिल से कूदकर जान दे दी थी। आत्महत्या के बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था और अदालत ने पहले उनकी जमानत खारिज कर दी थी। इसके विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी निजी स्कूल मंगलवार को बंद रहे। जिसके बाद उत्तर प्रदेश के सभी निजी स्कूलों के संगठन अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन (यूपीएसए) ने बुधवार को प्रिंसिपल और शिक्षक को जमानत देने के लिए न्यायाधीश और अदालत का आभार व्यक्त किया। यूपीएसए के अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने कहा कि हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं और उसमें अपना विश्वास रखते हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, यूपीएसए ने एक समिति गठित करने के लिए राज्य सरकार को धन्यवाद दिया जो किसी भी स्कूल में इसी तरह की घटनाओं की जांच करने और पुलिस की मनमानी को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करेगी। आज़मगढ़ घटना के मद्देनजर स्कूलों में उत्पीड़न और आत्महत्या की घटनाओं की जांच के लिए 7 सदस्यीय पैनल का गठन किया गया है। स्कूल शिक्षा महानिदेशक विजय किरण आनंद ने कहा कि पैनल को ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक एसओपी का मसौदा तैयार करने के लिए कहा गया है। पैनल में शिक्षा विभाग के तीन अधिकारी और निजी स्कूलों के चार प्रतिनिधि होंगे। इसमें शिक्षा विभाग, स्कूल प्रबंधन और माता-पिता/अभिभावकों के लिए अलग-अलग जिम्मेदारियां होंगी।
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