पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान बीते दोनों जो बाइडेन प्रशासन ने भारत के साथ जेट इंजन तकनीक साझा करने का एक ऐतिहासिक सौदा किया था. इस कड़ी में गुरुवार को एक बड़ी जानकारी निकलकर सामने आई है. अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को तकनीक साझा करने की जानकारी यूएस कांग्रेस (अमेरिकी संसद) को दे दी है. बताया गया कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा उत्पादित किए जाने वाले एलसीए मार्क-II विमानों के लिए यह तकनीक भारत को दी जाएगी, जिसके बाद इस अधुनिक तकनीक के माध्यम से भारत में जीई-एफ 414 जेट इंजन बनाए जाएंगे.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जो बाइडेन प्रशासन के दौरान अधिसूचना 28 जुलाई को यूएस कांग्रेस को भेजी गई थी. नियम के अनुसार 30 दिनों के बाद भारत को तकनीक ट्रांसफर के सौदे को मंजूरी दे दी जाएगी. यह समझौता पीएम नरेंद्र मोदी की तीन दिवसीय अमेरिका यात्रा के दौरान 22 जून को अमेरिका की GE और भारत की HAL के बीच हुआ था. अमेरिकी कांग्रेस में इस प्रस्ताव पर किसी तरह की अड़चन आने की संभावना नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के तहत वहां के सभी दल इसके पक्ष में हैं.
माना जा रहा है कि जीई एफ-414 इंजन का इस्तेमाल डीआरडीओ की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के द्वारा एलसीए एमके-II, एएमसीए मार्क-I और विकसित भारतीय विमान वाहक के लिए ट्विन इंजन डेक आधारित फाइटर (TEDBF) को पावर देने के लिए किया जाएगा. भारत सरकार की तरफ से इस डील के बाद आगे इस विषय पर कोई औपचारिक जानकारी मुहैया नहीं कराई गई है. हालांकि एक बात स्पष्ट है कि आधुनिक जेट इंजन के विमान भारत में विकसित होने के बाद पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की मुश्किलें जरूर बढ़ने वाली हैं.
बताया जा रहा है कि एएमसीए मार्क-2 फाइटर को बनाने के लिए कम से कम 100 इंजनों की आवश्यकता होगी. इसी तरह 200 इंजन की जरूरत एएमसीए मार्क-1 और टीईडीबीएफ के लिए इस दशक के अंत तक पड़ेगी. उम्मीद की जा रही है कि एडीए 2024 के अंत तक या 2025 की शुरुआत में एलसीए मार्क II का प्रोटोटाइप विकसित कर लेगा. यह पूरा कार्यक्रम अबतक शेड्यूल के मुताबिक ही चल रहा है. जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.