लंकगेट स्थित वैद्यनाथ (रेतवाली ) महादेव मंदिर प्रांगण में चल रही श्री शिव महापुराण के द्वितीय दिवस कथा व्यास ऋतुराज शर्मा ने बताया कि शिव विग्रह दो प्रकार का होता होता है , सकल व निष्कल । सकल लिंग साकार या मूर्ति स्वरूप में माना जाता है व निष्कल लिंग निराकार का प्रतीक है निष्कल लिंग को को शिव लिंग कहा जाता है । कथा व्यास ने बताया कि लिंग का अभिप्रया चिन्ह से है । मनुष्य का शरीर शिव लिंगमय है , हमारा शरीर ही वेदिका ( जलहरी ) है व प्राण चेतना ही शिव है ।
कथा व्यास ने बताया कि सृष्टि , स्तिथि , संहार , तिरोभाव ओर अनुग्रह ये पांच प्रमुख भगवान शिव के कार्य है । चल व अचल शिव लिंग प्रतिष्ठा का स्वरूप बताते हुए कथा व्यास ने बताया कि चल प्रतिष्ठा काम से कम एक अंगुल व अचल प्रतिष्ठा बारह अंगुल की होना चाहिए ।
दान की महत्ता का वर्णन करते हुए कथा व्यास ने बताया कि ध्यान से मन की शुद्धि होती है , उपवास से शरीर की सुद्धि होती है लेकिन धन की शुद्धि सिर्फ दान से ही होती है इसलिए प्रतीक मनुष्य को आय का दसवां अंश धर्म व राष्ट्र के निमित्त निकालना ही चाहिए । कथा व्यास ने बताया कि यद्यपि दान बहुत सोच विचार करके करना चाहिए लेकिन अन्नदान में किसी भी प्रकार की पात्रता की जरूरत नही है , व्यक्ति का भूखा होना ही पर्याप्त , इतना विचार करके ही अन्नदान कर देना चाहिए । शिव पुराण के अनुसार अन्नदान श्रेष्ठ दान है । तत्पश्चात कथा की आरती हुई जिसमें राष्ट्रीय संत ज्योति शंकर शर्मा पुराणाचार्य ,वैधनाथ महादेव के अध्यक्ष सत्यनारायण सोमानी , पुरुषोत्तम लाल पारीक , प्रमोद गर्ग , कालू कटारा , किशन गोपाल नोसाल्या , रामस्वरूप धागल,कन्हैया लाल शर्मा राजेंद्र मित्तल पंडित जगदीश शर्मा पंडित महावीर आदि ने कथा की आरती की एवम प्रसाद वितरण किया!
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