अब दुनिया के किसी भी कोने छिप जाएं अपराधी, गायब रहने पर भी भारत में होगी सजा, आ रहा नया कानून

अब भारत से भागकर अपराधी चाहे दुनिया के किसी भी कोने छिप जाएं, मगर गायब रहने पर भी उनको भारत में सजा होगी. इसके लिए एक नया कानून (New Law) आ रहा है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि हमारे नए कानून में प्रावधान है कि दाऊद या कोई भी भगोड़ा दुनिया के किसी भी कोने में हो, उसकी गैर-मौजूदगी में भी कोर्ट में सुनवाई होगी और सजा सुनाई जाएगी. अमित शाह ने कहा कि हमने एक बहुत ऐतिहासिक फैसला किया है, वो है अनुपस्थिति में ट्रायल का. कई मामलों में दाऊद इब्राहिम वांटेड (Dawood Ibrahim) है. वो देश छोड़कर भाग गया, लेकिन उस पर ट्रायल नहीं चल सकता. आज हमने तय किया है कि सेशन कोर्ट के जज उचित प्रक्रिया के बाद जिसको भगोड़ा घोषित करेंगे, उसकी गैर-मौजूदगी में ट्रायल होगा और उसको सजा भी सुनाई जाएगी.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आगे कहा कि किसी भी आरोपी को अगर सजा के खिलाफ अपील करनी है तो उसे भारत में आना होगा. गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हम तीन नए विधेयक लाएं हैं. आईपीसी 1860, सीआरपीसी 1898 और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872, ये तीनों अंग्रेजो द्वारा लाए गए कानून थे. अमित शाह ने कहा कि ‘1860 से 2023 तक देश की आपराधिक न्याय प्रणाली अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों के अनुसार काम करती रही. अब तीन कानून बदल जाएंगे और देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव होगा.’

अमित शाह ने कहा कि ‘अब हम लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय साक्ष्य विधेयक- 2023 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक ला रहे हैं. इसका उद्देश्य सबको न्याय देना है. मैं सदन को आश्वस्त करता हूं इससे लोगों को न्याय मिलने में आसानी होगी. इनको स्टैंडिंग कमेटी में भेजा जा रहा है. आम आदमी इस नए कानून के केंद्र में होगा.’ शाह ने कहा कि 2019 में ही पीएम मोदी ने कहा था कि अंग्रेजों के बनाए गए कानूनों को आज के हिसाब से बनाया जाए.

अमित शाह ने कहा कि इसके लिए व्यापक चर्चा की गई. सभी हाईकोर्ट, यूनिवर्सिटी, सुप्रीम कोर्ट, आईएएस, आईपीएस, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, सासंद, विधायक, लॉ यूनिवर्सिटी आदि को पत्र लिखकर सलाह ली गई है. शाह ने कहा कि न्याय मिलने में इतनी देर लगती है कि लोगों का भरोसा उठ गया है. लोग कोर्ट जाने से डरते हैं. अब इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, एसएमएस, लोकेशन सबूत, ईमेल आदि सबकी कानूनी वैधता होगी. अदालत के कार्यवाही टेक्नोलॉजी के जरिए हो सकेगी. पूरा ट्रायल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से हो पाएगा. इन कानूनों को बनाने में फोरेंसिक टेक्नोलॉजी और अन्य एक्सर्ट्स को शामिल किया गया है.

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