मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने का मामला, सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ करेगी सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को इस बात का भरोसा दिलाया है कि वह मैरिटल रेप (वैवाहिक रेप) को अपराध के दायरे में लाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. न्यायालय ने कहा कि कुछ सूचीबद्ध याचिकाओं पर सुनवाई किए जाने के बाद तीन न्यायधीशों की पीठ मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने सुनवाई के लिए कोई नियत तारीख नहीं दी है.

कुछ याचिकाकर्ताओं ने भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (रेप) के तहत वैवाहिक दुष्कर्म को मिली छूट की संवैधानिकता को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह उन विवाहित महिलाओं के खिलाफ भेदभाव है, जिनमें उनके पति उनका यौन शोषण करते हैं.

दरअसल इस मामले में याचिकाकर्ता की ओर से इंदिरा जयसिंह और करुणा नंदी ने सर्वोच्च न्यायालय ने जल्द सुनवाई की मांग की थी. जब वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने सुनवाई के लिए मामले का जिक्र किया तो प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति मनोज सिन्हा की पीठ ने कहा, ‘‘हमें वैवाहिक रेप संबंधी मामलों को निपटाना होगा.’’

इससे पहले अपने एक फैसले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने पिछले साल 23 मार्च को पारित आदेश में कहा था कि अपनी पत्नी के साथ रेप तथा अप्राकृतिक यौन संबंध के आरोप से पति को छूट देना संविधान के अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) के खिलाफ है.

शीर्ष अदालत ने 16 जनवरी को वैवाहिक रेप को अपराध के दायरे में लाने का अनुरोध करने वाली और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के उस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा था, जो पति को बालिग पत्नी के साथ जबरन यौन संबंध बनाने की सूरत में अभियोग से सुरक्षा प्रदान करता है. केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि इस मुद्दे के कानूनी तथा ‘सामाजिक निहितार्थ’’ हैं और सरकार इन याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करेगी.

उच्चतम न्यायालय में इस मामले में कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में से एक याचिका वैवाहिक रेप के मुद्दे पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 11 मई, 2011 के खंडित फैसले के संबंध में दायर की गई थी. दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ में शामिल दो न्यायाधीशों- न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने मामले में उच्चतम न्यायालय में अपील करने की अनुमति दी थी, क्योंकि इसमें कानून से जुड़े महत्वपूर्ण सवाल शामिल हैं, जिन पर न्यायालय द्वारा गौर किए जाने की आवश्यकता है. आपको बता दें कि शीर्ष अदालत ने 22 मार्च को वैवाहिक बलात्कार संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की थी.

Written By

DESK HP NEWS

Hp News

Related News

All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.

BREAKING NEWS
दौसा सीट पर पायलट और किरोड़ी की प्रतिष्ठा दांव पर, SC-ST वर्ग के मतदाता सर्वाधिक, दस साल से कांग्रेस का कब्जा | विधानसभा उपचुनाव में वसुंधरा-पायलट की भूमिका होगी अहम, बीजेपी-कांग्रेस के ये दिग्गज भी दिखाएंगे अपना दम! | करंट से युवक की मौत, मासूमों के सिर से उठा पिता का साया गम मे बदली दिवाली की खुशियां | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | जल्द ही बड़ी खुशखबरी : सरकारी कर्मचारियों के तबादलों से हटेगी रोक! भजनलाल सरकार ले सकती है ये बड़ा फैसला | गाजियाबाद में पड़ोसी ने युवती के साथ किया दुष्कर्म, आरोपी गिरफ्तार | मदरसे में 7 साल के बच्चे की संदिग्ध हालत में मौत, गुस्साए लोगों ने किया हंगामा | रक्षाबंधन पर भाई ने उजाड़ दिया बहन का सुहाग, दोस्त के साथ मिलकर की बहनोई की हत्या, आरोपी गिरफ्तार | गाजियाबाद में नामी स्कूल की शिक्षिका को प्रेम जाल में फंसा कर धर्मांतरण के लिए किया मजबूर, आरोपी गिरफ्तार | यूपी टी-20 प्रीमियर लीग के उद्घाटन समारोह के लिए सीएम योगी को मिला आमंत्रण |