सूचना संचार प्रोद्यौगिकी आधारित कार्यशाला आयोजित

जैन विश्वभारती संस्थान के शिक्षा विभाग में तीन दिवसीय सूचना संचार प्रोद्यौगिकी आधारित कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का शुभारम्भ करते हुए शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि आईसीटी आधारित कार्यक्रमों की वर्तमान में सबसे अधिक आवश्यकता है। विद्यार्थियों को सूचना, संचार और सम्बंधित तकनीकी ज्ञान होना बहुत ही जरूरी हा गया है। कार्यशाला में डॉ. अमिता जैन ने आईसीटी के बारे में बताते हुए विद्यार्थियों को ई-मेल आई डी बनाने के सम्बंध में प्रैक्टिकल रूप से जानकारी प्रदान की। विद्यार्थियों नेे कार्यशाला में इस सम्बंध में स्वयं अभ्यास भी किया। कार्यशाला में शिक्षा विभाग की 50 छात्राध्यापिकाओं ने भाग लिया।

भारत सरकार के इलेक्ट्रोनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार यहां जैन विश्वभारती संस्थान में कुलपति प्रो. बच्छराज दूगड़ के निर्देशन में ‘ऑनलाइन सुरक्षित रहें अभियान’ के अंतर्गत ‘साइबर अपराध एवं सुरक्षा के उपाय’ विषय पर  वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन  किया गया। कार्यक्रम में साइबर स्टोकिंग, साइबर बुल्लिंग, फिशिंग, बैंकिंग फ्र्राॅड आदि साइबर अपराधों के विविध स्वरूपों पर विचार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम में दिव्या पारीक ने बताया कि साइबर स्टोकिंग के अंतर्गत अपराधी द्वारा पीड़ित के सोशल-मीडिया अकाउंट के माध्यम से बार-बार परेशान किया जाता है, जिसमें पीड़ित को फॉलो करना, धमकी भरे सन्देश भेजना, बार-बार फोन करना, अश्लील तस्वीरें भेजना एवं इसी प्रकार के अन्य कृत्यों के माध्यम से दूसरे व्यक्ति को परेशान किया जाता है। तानियां खान ने बताया कि साइबर बुल्लिंग के अंतर्गत अपराधी द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से दोस्ती बढाकर अन्य व्यक्तियों से नजदीकी बढ़ाना एवं बाद में उन्हें निजी जानकारियों को लेकर परेशान किया जाता है। आशना ने फिशिंग पर चर्चा करते हुए बताया कि फिशिंग का प्रमुख कारण स्पैम ईमेल का उपयोग है। मंजू ने विभिन्न बैंकिंग फ्राॅड्स पर अपने विचार व्यक्त किये।
साईबर अपराधों के प्रति सजगता जरूरी कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ मनीष भटनागर कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में बढ़ते साइबर अपराध चिंतनीय विषय बन गया है। हमारी थोड़ी सी लापरवाही हमे आर्थिक, मानसिक एवं सामाजिक आघात पंहुचा सकती है। हमे साइबर अपराध के प्रति पूरी तरह से जागरूक रहने की आवश्यकता है। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. गिरधारी शर्मा ने बताया कि जी-20 देशों की भारत की अध्यक्षता के दौरान, ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षित रहने के लिए विशेष रूप से विकलांग व्यक्तियों सहित नागरिकों के बीच जागरूकता पैदा करने के उद्देश्य से ‘स्टे सेफ ऑनलाइन’ नामक एक अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के अंतर्गत विश्वविद्यालय में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसी के तहत आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता में जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया गया है। कार्यक्रम में शिक्षा संकाय के सभी सदस्य डॉ. विष्णु कुमार, डॉ. सरोज राय, डॉ. गिरिराज भोजक, प्रमोद ओला, खुशाल जांगिड एवं सभी विद्यार्थियों की सहभागिता रही।

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