14 जुलाई को चंद्रयान-3 के लॉन्च होने के बाद ISRO का फोकस सूर्य मिशन पर है. कोरोना के कारण चंद्रयान-3 (Chandryaan-3) के लॉन्च में देरी हुई है. लेकिन अब इसरो ने अपने मिशन को पूरा करने की ठान ली है. खबर है कि चंद्रयान-3 23 या 24 अगस्त तक चंद्रमा की सतह पर पहुंच जाएगा और ISRO उसके तीन दिन बाद सूर्य मिशन लॉन्च करने पर विचार कर रहा है. माना जा रहा है कि भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1(Aditya L1) 26 अगस्त को लॉन्च किया जाएगा.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, ISRO चीफ सोमनाथ एस ने गुरुवार को कहा, ‘सूर्य का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 मिशन की तैयारी चल रही है, साथ ही एक्स्ट्रासोलर ग्रहों (एक्सोप्लैनेट) का अध्ययन करने के लिए एक उपग्रह बनाने पर भी चर्चा चल रही है.’ आदित्य सूर्य-पृथ्वी प्रणाली प्रभामंडल कक्षा के लैग्रेंज प्वाइंट-1 (एल-1) के आसपास से गुजरेगा. इसकी पृथ्वी से दूरी 15 लाख किमी है. इस स्थिति से यह यान सूर्य को अच्छे से देख सकेगा. इस यान के जरिये सूर्य की विभिन्न प्रक्रियाओं को देखा जा सकेगा. आप यह देख सकेंगे कि सूर्य की गतिविधियों का अंतरिक्ष के मौसम पर कैसे प्रभाव पड़ता है.
‘आदित्य एल-1’ को पीएसएलवी (ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान) द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा. अनुमान है कि लॉन्च से लेकर अपनी मंजिल तक पहुंचने में इसे कम से कम 4 महीने लगेंगे. इसरो का पिछला मिशन चंद्रयान-2 विफल रहा था. परिणामस्वरूप, चंद्रयान-3 मिशन पर अतिरिक्त फोकस किया गया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भारत के सबसे भारी जीएसएलवी चंद्रयान-3 को ले जाने वाले अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण किया.
चंद्रयान-3 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में विकसित किया गया था. यह चंद्रमा के बारे में जानकारी जुटाएगा. इसरो इस परियोजना को लेकर बेहद आश्वस्त और उत्साहित है. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह या चंद्र मिट्टी की परिक्रमा करते हुए और उसके पर्यावरण का रासायनिक विश्लेषण करेगा. यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र की परिक्रमा करेगा. जैसे ही भारत चंद्र-अभ्यास शुरू करेगा, चंद्रयान-3 यान को चंद्रमा की धरती पर उतारेगा और उसे रिकॉर्ड करेगा. बता दें कि भारत इस दुर्लभ काम को सही ढंग से करने वाला दुनिया का चौथा देश बनने जा रहा है.
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