केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 2 जून को ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना के बारे में संसद में रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दुर्घटना एक लेवल-क्रॉसिंग गेट पर बदलाव के दौरान सिग्नल-सर्किट परिवर्तन में चूक की वजह से हुई. इस दुर्घटना में 295 लोगों की मौत हो गई थी और करीब 176 लोग बुरी तरह घायल हुए थे. दुर्घटना में शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस (12841) एक खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई थी. जिससे उसके डिब्बे बगल की पटरी पर गिर गए, जिस पर विपरीत दिशा से बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट ट्रेन आ रही थी. जो पटरी पर गिरे हुए डब्बों से टकरा गई.
तीन ट्रेनों की यह टक्कर पिछले कई दशकों में भारत में हुई सबसे भयावह ट्रेन दुर्घटनाओं में से एक है. जिसमें करीब 300 लोगों ने अपनी जान गंवाई. इस महीने की शुरुआत में रेल मंत्रालय के एक अधिकारी ने News18 से बात करते हुए इस बात की पुष्टि की थी कि इस घटना के लिए मानवीय गलती जिम्मेदार थी. हालांकि सीबीआई जांच के चलने के कारण अधिकारी ने कहा कि वह इस वक्त ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं. रेलवे सुरक्षा आयुक्त की रिपोर्ट से घटना के कारण का पता चला है. दुर्घटना के बारे में राज्यसभा सदस्यों के सवालों के जवाब में शुक्रवार को उनकी रिपोर्ट का हवाला दिया गया.
एक लिखित जवाब में रेलमंत्री वैष्णव ने कहा कि टक्कर नॉर्थ सिग्नल गुमटी में पिछले दिनों किए गए सिग्नलिंग-सर्किट परिवर्तन में खामियों के कारण और स्टेशन पर लेवल-क्रॉसिंग नंबर 94के लिए इलेक्ट्रिक लिफ्टिंग बैरियर के बदलाव से जुड़े सिग्नलिंग कार्य के दौरान हुई. उन्होंनें कहा कि “इन खामियों की वजह से ट्रेन नंबर 12481 को गलत सिग्नल मिला, जिसमें अप होम सिग्नल ने स्टेशन की अप मुख्य लाइन पर रन-थ्रू मूवमेंट के लिए ग्रीन सिग्नल दिया, लेकिन अप मुख्य लाइन को अप लूप लाइन (क्रॉसओवर 17 A/B) से जोड़ने वाले क्रॉसओवर अप लाइन पर सेट किया गया था. गलत सिग्नल की वजह से ट्रेन नंबर 12481 अप लूपलाइन पर चली गई और वहां खड़ी हुई मालगाड़ी (No. N/DDIP) से पीछे से टकरा गई.
वैष्णव ने बताया कि पिछले पांच सालों में रेलवे में सिग्नल फेल होने के 13 मामले सामने आए. जिसमें से 7 दुर्घटना की वजह बने. उन्होंने कहा कि इंटरलॉकिंग सिग्नल सिस्टम में खामी की वजह से कोई दुर्घटना नहीं हुई. परिणामी दुर्घटनाएं उनको माना जाता है, जिसमें एक या कई मामलों में गंभीर परिणाम सामने आते हैं. जैसे लोगों की जान जाना, लोगों का चोटिल होना, रेलवे संपत्ति का नुकसान या रेल ट्रेफिक में रुकावट पैदा होना. News18 ने रेलवे डाटा को देखा तो पाया कि उक्त 7 दुर्घटनाओं में किसी की जान नहीं गई थी, हालांकि इसमें रेलवे संपत्ति को जरूर नुकसान पहुंचा था.
रेल मंत्री ने बताया कि दुर्घटना में मारे गए कुल 295 लोगों में से 41 पीड़ितों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. 18 जुलाई तक मृतकों में से 254 की पहचान हो चुकी है. मंत्रालय ने अज्ञात यात्रियों के शवों को एम्स, भुवनेश्वर में रखा है. वहीं विश्लेषण के लिए डीएनए नमूने सीएफएसएल, नई दिल्ली में संरक्षित किए गए हैं. रेल मंत्रालय द्वारा मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को दो-दो लाख रुपये और सामान्य रूप से घायल हुए हर व्यक्ति को 50,000 रुपये की अनुग्रह राशि देने का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि 16 जुलाई तक अनुग्रह राशि के रूप में अब तक 29.49 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है.
इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने बालासोर ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में अपनी पहली गिरफ्तारी की. जिसमें तीन रेलवे कर्मियों को हिरासत में लिया गया. गिरफ्तार किए गए आरोपियों में, सीनियर सेक्शन इंजीनियर (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, सेक्शन इंजीनियर मोहम्मद अमीर खान और तकनीशियन पप्पू कुमार शामिल हैं. ये सभी उस दौरान बालासोर जिले में तैनात थे. इन पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 201 (साक्ष्य को नष्ट करना) के तहत आरोप लगाए गए थे. इस दुर्घटना से दक्षिण पूर्व रेलवे (SER)में हड़कंप मच गया. जिसके कारण कम से कम 7 वरिष्ठ अधिकारियों को हटा दिया गया. खड़गपुर मंडल रेल प्रबंधक और प्रधान मुख्य सुरक्षा अधिकारी सहित पांच वरिष्ठ अधिकारियों का तबादला कर दिया गया. इसके अतिरिक्त दक्षिण पूर्व रेलवे की महाप्रबंधक अर्चना जोशी को भी उनके पद से स्थानांतरित कर दिया गया और उनकी जगह अनिल कुमार मिश्रा को नियुक्त किया गया.
All Rights Reserved & Copyright © 2015 By HP NEWS. Powered by Ui Systems Pvt. Ltd.