महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में इन दिनों भ्रष्टाचार का बोलबाला है, शनिवार को मानसरोवर जोहड़ में चल रहा खुदाई कार्य में काम पर पहुँचने के बाद नरेगाकर्मियों को काम नही मिलने से करीब 4 घंटे की मशक्कत के बाद बैरंग लौटना पड़ा, इसको लेकर नरेगाकर्मियों में रोष बना हुआ हैं | नरेगाकर्मियों ने बताया कि जोहड़ खुदाई कार्य के लिए 12 जुलाई को 149 महिलाओं की मस्टरोल जारी हुई थी | उसके बाद नरेगाकर्मियों को केवल 8 दिन ही काम दिया गया और महिलाओं को नरेगा में पैसा ख़त्म होने की बात कह कर नरेगा से भगा दिया गया | इसको लेकर नरेगाकर्मियों में रोष बना हुआ हैं | इतना ही नही महिलाओं द्वारा जितना काम किया जा रहा हैं उतना पैसा भी उनको नही मिल रहा केवल 160 रूपये ही उनको मिल रहे हैं | ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा में काम के लिए नाम लिखवा दिया जाता है लेकिन ग्राम पंचायत कर्मचारी व सरपंच द्वारा नियमो की अनदेखी करते हुए अपने चहेते व प्रभावशाली लोगो को रोजगार दिया जा रहा है | जिसके चलते गरीब व असहाय लोगो को रोजगार नहीं मिलने से दो वक्त की रोटी के लाले पड़ने लग गये है | ग्रामीणों ने पंचायत पर मनरेगा में मस्टरोल में फर्जी नाम भरे जाने सहित भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग रूपये दे देते है उन लोगो को मनरेगा में काम दिया जाता है | पूर्व में भी ग्राम पंचायत नारायणपुर में अनियमितता की शिकायत मिली थी लेकिन आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है | इधर थानागाजी विकास अधिकारी कजोडमल मीणा ने इस मामले में अपना बयान देने से मना कर दिया | इस मौके पर वार्ड पंच दिनेश भार्गव, नरेंद्र सिंह शेखावत, राजू सैनी, गिरदारी बावरिया, गीता देवी, रूडी देवी, तारा बलाई, मंगली देवी, गीता सैनी सहित बड़ी संख्या में नरेगाकर्मी मौजूद थे |
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