छत्तीसगढ़ में कोल ब्लॉक के आवंटन में अनियमितता से जुड़े मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यु कोर्ट ने पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा और उनके बेटे देवेंद्र दर्डा को 4 साल जेल और 15 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. कंपनी मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को भी अदालत ने मामले में 4 साल जेल और 15 लाख रुपए जुर्माने की सजा दी है. दिल्ली की विशेष अदालत ने मामले में एक अन्य दोषी पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता को 3 साल जेल की सजा दी है और 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया है.
सीबीआई ने अदालत से मामले में दोषियों को अधिकतम सजा देने की मांग की थी. केंद्रीय जांच एजेंसी ने कोर्ट से कहा था कि दोषी सेहत का हावला देकर कम सजा की मांग नहीं कर सकते हैं, मामले में दोषियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं. दोषियों के वकील ने कोर्ट में कहा था कि मामले में ट्रायल पूरा करने में 9 साल लग गए. इतने सालों तक मेरे मुवक्किलों ने प्रताड़ना सही है, अधिकारी तो दिल्ली के रहने वाले हैं, लेकिन दूसरे लोग दूसरे राज्यों से सुनवाई के लिए अदालत में आते थे.
दोषियों के वकील ने कहा था गवाहों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी प्रॉसिक्यूशन की होती है. अगर वह उनको सुरक्षित नहीं रख सकते तो यह उनकी गलती है. उन्होंने कहा कि सभी कोल ब्लॉक नक्सल प्रभावित क्षेत्र से जुड़े हुए थे, अगर वह लग जाते तो उन क्षेत्रों की स्तिथि आज कुछ और होती. दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने IPC की धारा 120B, 420 और भ्रष्टाचार से जुड़ी धाराओं के तहत पूर्व राज्यसभा सांसद विजय दर्डा, उनके बेटे देवेंद्र दर्डा, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता, दो वरिष्ठ अधिकारियों केएस क्रोफा और केसी सामरिया, और कंपनी मेसर्स जेएलडी यवतमाल एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक मनोज कुमार जयसवाल को दोषी ठहराया था.
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