मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले नए जिलों के गठन की मांग जोर पकड़ने लगी है. प्रदेश में अभी 52 जिले हैं. लेकिन चुनावी साल में कुछ और नए जिले बन सकते हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीते दिन मऊगंज और नागदा को जिला बनाने की घोषणा कर चुके हैं. लेकिन अब प्रदेश के दूसरे हिस्सों से भी नए जिलों के गठन की मांग जोर पकड़ रही है.
कमलनाथ सरकार के समय भी 2 जिलों की घोषणा की गई थी लेकिन उस पर अब तक अमल नहीं हुआ प्रदेश में जिलों की बढ़ती मांग से संभावना जताई जा रही है प्रदेश में 52 जिलों की संख्या बढ़कर 56 हो सकती है.
चुनाव से पहले जनता की मांग पर नए जिलों का ऐलान करने की एक तरह से परंपरा बन गई है. लोगों को खुश करने के लिए राजनीतिक दल नए जिलो के गठन की घोषणा करते हैं. पूरा मामला सियासी है क्योंकि कांग्रेस ने प्रदेश में बने नए जिलों के संसाधनों को लेकर सवाल पूछा है. पूर्व मंत्री पीसी शर्मा का कहना है चुनावी साल में सरकार नए जिलों के गठन का ऐलान कर देती है. लेकिन ना तो वहां पर विभाग, ना दफ्तर, ना सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं. और स्थानीय जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है. सरकार सिर्फ चुनाव को देखते हुए चुनावी फायदे के लिए नए जिलों के गठन का ऐलान करती है.
प्रदेश में 16 नए जिलों के गठन की मांग की जा रही है. संभावना जताई जा रही है कि 52 जिलों वाला प्रदेश 56 जिलों की संख्या तक पहुंच सकता है. हर बार जिलों की सियासत वोट बैंक साधने के लिए होती है. मध्य प्रदेश के गठन के समय 1956 में 43 जिले थे छत्तीसगढ़ बनने के समय 2000 में 45 जिले थे. लेकिन एक बार फिर चुनाव से पहले नए जिलों का गठन परवान चढ़ने लगी है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मऊगंज को जिला बनाने का ऐलान कर चुके हैं. रीवा जिले से अलग कर इसका गठन होगा. वहीं नागदा को भी जिला बनाने की घोषणा हुई है. ये उज्जैन से अलग होकर बनेगा. इन दो जिलों के गठन से मध्य प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़कर 54 हो जाएगी.
-2003 में बीजेपी ने 3 नए जिले अनूपपुर, बुरहानपुर, अशोकनगर बनाए थे. जिससे जिलों की संख्या बढ़कर 48 हो गई थी.
-2008 में चुनावी साल में सरकार ने 2 नए जिले अलीराजपुर सिंगरौली बनाए थे तब जिलों की संख्या बढ़कर 50 हो गई थी.
-2013 में शाजापुर से अलग कर आगर मालवा का गठन किया गया था तब जिलों की संख्या बढ़कर 51 हो गई थी.
-2018 में ठीक चुनाव के पहले टीकमगढ़ से अलग कर निवाड़ी जिला बनाया गया था. इस तरह से प्रदेश में कुल 52 जिले हो गए थे.
मैहर और चाचौड़ा को जिला बनाने की मांग भी पुरानी है. इस पर भी सरकार कोई फैसला कर सकती है. हालांकि बीजेपी इसे चुनाव से जोड़कर नहीं देख रही. बीजेपी का कहना है स्थानीय मांग को देखते हुए सरकार नए जिलों के गठन का फैसला करती है ताकि लोगों को सुविधा मिल सके. इसलिए नए जिलों का अस्तित्व में आना अच्छी बात है.
मध्य प्रदेश में कई जिलों से नए जिलों के गठन की मांग बढ़ रही है ओंकारेश्वर, बड़वाह, सोनकच्छ, सिरोंज, बीना, कन्नौद, खातेगांव, बागली, लवकुशनगर, जावरा को जिला बनाने की मांग की जा रही है. लेकिन सवाल ये है कि क्या सिर्फ चुनावी फायदे के लिए जिलों का गठन करना ठीक है या फिर नए जिलों के गठन से वहां पर सभी तरह की सुविधाएं समय पर लोगों को मिल सकें इसके लिए भी कदम उठाना जरूरी है.
प्रदेश में 15 अगस्त को नये जिलों की सौगात मिल जाएगी. रीवा से अलग होकर मऊगंज जिला अगले महीने अस्तित्व में आ जाएगा. इसी तरह से नागदा को भी जिला बनाए जाने की घोषणा पर अमल हो जाएगा. लेकिन संभावना इस बात की है कि विधानसभा चुनाव के नजदीक आने से पहले प्रदेश में नए जिलों की संख्या और बढ़ सकती है.
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