केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत (Special Court) ने गैंगस्टर छोटा राजन को 1997 में ट्रेड यूनियन नेता (Trade Union Leader) दत्ता सामंत की हत्या से जुड़े एक मामले में सबूतों के अभाव में शुक्रवार को बरी कर दिया. अदालत ने कहा कि यह साबित करने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि राजन, जिसका असली नाम राजेंद्र सदाशिव निकालजे है, ने साजिश रची.
हालांकि, गैंगस्टर के जल्द जेल से रिहा होने की संभावना नहीं है क्योंकि वह विभिन्न शहरों में दर्जनों मामलों में मुकदमे का सामना कर रहा है. सामंत ने 1981 में मुंबई में कपड़ा मिल श्रमिकों की हड़ताल का आयोजन किया था. सामंत की 16 जनवरी 1997 को गोली मारकर हत्या कर दी गई, जब वह अपनी जीप से उपनगरीय घाटकोपर में पंत नगर स्थित अपने कार्यालय जा रहे थे. मोटरसाइकिल पर आए हमलावरों ने 17 राउंड फायरिंग की.
अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि राजन ने हत्या की साजिश रची थी. लेकिन, विशेष न्यायाधीश ए.एम पाटिल ने शुक्रवार को फैसले में कहा कि ऐसा कुछ भी प्रस्तुत नहीं किया गया जिससे यह साबित हो सके कि राजन ने साजिश रची थी. अदालत ने कहा, ‘‘महत्वपूर्ण गवाह मुकर गए. उन्होंने अभियोजन पक्ष के मामले का समर्थन नहीं किया. अन्य गवाहों की गवाही आरोपियों के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है.’’
मुकदमे के पहले चरण में जुलाई 2000 में फैसला सुनाया गया. राजन के खिलाफ मामले में गैंगस्टर गुरु साटम और राजन के भरोसेमंद रोहित वर्मा को फरार आरोपी के रूप में दिखाया गया था और उनका मुकदमा अलग कर दिया गया था. राजन को अक्टूबर 2015 में इंडोनेशिया के बाली से गिरफ्तार किया गया था. बाद में उसके खिलाफ दर्ज सभी मामले सीबीआई ने अपने हाथ में ले लिए.
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