सावन की फुहार के बीच दौसा में ताजिए हुए सुपुर्द ए खाक। दौसा के नागौरी मोहल्ला और शेखान मोहल्ले से ताजिये का जुलुस मातमी धुनों के साथ दोसा के पुराने शहर के मुख्य मुख्य मार्गो से होते हुए गांधी चौक, माणक चौक, सिलावट मोहल्ला, होते हुए बनीदास की बावड़ी पहुंचे जहां पर दोनों ताजिए एक साथ हुए और मातमी ढोल तासो की धुन के साथ ताजिये कर्बला की और बढ़े। बड़ी संख्या में इस दौरान महिला पुरुष मौजूद रहे। हिंदू समुदाय के लोगों ने ताजिये को सजदा कर अमन चैन की दुआ मांगी। बनीदास की बावड़ी से जुलूस के रूप में शाह जमाल बाबा की दरगाह स्थित कर्बला में पहुंचकर ताजियों को सुपुर्द किया गया। महिलाओं ने मातम मनाते हुए ताजे को सुपुर्द ए खाक किया और मातम मनाया गया। बनीदास की बावड़ी पर मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा शरबत की छबील लगाई गई। चाट पकौड़ी की अस्थाई दुकानें सजाई गई यहां पर छोटे बच्चों के लिए उनके परिजनों ने उनके लिए खिलौने चाट पकौड़ी की जमकर खरीददारी की। सब्बीर खान ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मुस्लिम समुदाय के पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे हसन हुसैन करीब 1400वर्ष पूर्व युद्ध में शहीद हो गए थे उनकी याद में मोहर्रम का पर्व मनाया जाता है दोसा जिला मुख्यालय पर ताजिये शेखान मोहल्ले से और नागोरी मोहल्ला से ताजिया निकाले गए। मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा ढोल ताशा के साथ मातम मनाया गया । मोहर्रम का त्यौहार हिंदू मुस्लिम सामाजिक सौहार्द की एक मिसाल है जहां पर ताजिया के जुलूस में बड़ी संख्या में हिंदू शरीक होते हैं साथ ही उनकी बैठक लगाकर सामाजिक सौहार्द बनाते हैं जो बरसों पुरानी परंपरा है।
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