ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit) के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बीच बैठक किसने बुलाई और सीमा तनाव (India-China Border Issue) को हल करने के लिए किस बात पर सहमति बनी? इस मुद्दे पर अब घोर विरोधाभासी बातें कही जा रहीं हैं. गुरुवार रात को जोहान्सबर्ग में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई बैठक में किसी सकारात्मक नतीजों की उम्मीदों पर शायद इन बयानों ने एक तरह से पानी फेर दिया है. चीनी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि जिनपिंग ने मोदी के अनुरोध पर उनसे बात की थी.
जबकि भारतीय पक्ष ने इसका खंडन किया और कहा कि ‘चीनी पक्ष से द्विपक्षीय बैठक के लिए एक काफी पुराना अनुरोध किया गया था’ और कहा कि केवल दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत हुई थी. इसके अलावा भारतीय विदेश सचिव ने कहा कि ‘दोनों नेता वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सेनाओं को जल्द पीछे हटाने की कोशिशों को तेज करने के लिए अपने संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने पर सहमत हुए.’ वहीं चीनी बयान में इस समझौते का कही कोई जिक्र नहीं किया गया. चीन ने केवल इतना कहा कि दोनों पक्षों को ‘सीमा मुद्दे को ठीक से संभालना चाहिए ताकि सीमा के इलाके में संयुक्त रूप से शांति को कायम रखा जा सके.’
दिलचस्प बात यह है कि पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी, सेनेगल के राष्ट्रपति मैकी सॉल, इथियोपिया के राष्ट्रपति अबी अहमद अली के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ द्विपक्षीय सह-प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की. जबकि विदेश सचिव ने गुरुवार को जिनपिंग के साथ बातचीत को ‘द्विपक्षीय वार्ता’ नहीं बताया. विदेश मंत्रालय के सूत्रों का अब कहना है कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में नेताओं के लाउंज में यह केवल एक ‘अनौपचारिक बातचीत’ थी. भारत ने यात्रा से पहले कभी इसकी पुष्टि नहीं की थी कि ब्रिक्स में भारत-चीन द्विपक्षीय बैठक प्रस्तावित है. अब ऐसा लगता है कि चीनी पक्ष के लंबित अनुरोध के बावजूद भारत ऐसी द्विपक्षीय बैठक के लिए राजी नहीं था.
बहरहाल शी जिनपिंग अगले महीने दिल्ली में G-20 समिट के लिए आने वाले हैं. इस महीने की शुरुआत में पहली बार दो दिनों तक हुई दोनों पक्षों के बीच सैन्य वार्ता के बाद सीमा तनाव के समाधान की उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं. गुरुवार को विदेश सचिव के बयान में भी इस बात की झलक दिखाई दी. उन्होंने कहा कि ‘यह चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ बातचीत थी. उस बातचीत में पीएम मोदी ने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों के पश्चिमी क्षेत्र में एलएसी के साथ अनसुलझे मुद्दों पर भारत की चिंताओं पर रोशनी डाली. पीएम ने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और एलएसी का निगरानी और सम्मान करना भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने के लिए जरूरी है.’
चीनी पक्ष ने एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं के बीच भारत-चीन संबंधों और साझा हित के अन्य सवालों पर विचारों का साफ और गहन आदान-प्रदान हुआ. राष्ट्रपति शी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों में सुधार दोनों देशों और लोगों के साझा हित में है. यह दुनिया और इलाके की शांति, स्थिरता और विकास के लिए भी जरूरी है. News18 ने पहले ही खबर दी थी कि भारत को यह आभास हो गया है कि चीन सीमा तनाव को हल करने के विचार की ओर बढ़ रहा है. वह भारत-अमेरिका के बढ़ते रणनीतिक संबंधों से सावधान है. साथ ही कि चीन को ताइवान के दूसरे मोर्चे पर परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, अब सभी की निगाहें G-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन पर हैं. जिनपिंग इसमें हिस्सा लेंगे और क्या किसी ठोस समाधान की दिशा में आगे बढ़ेंगे?
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