जम्मू-कश्मीर के लोगों को विशेष अधिकार प्रदान करने से संबधित अनुच्छेद 35A (Article 35 A)और अनुच्छेद 370 (Article 370) फिर चर्चा में हैं. जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को रद्द किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में सुनवाई के दौरान 35 A पर भी बहस हुई. दरअसल,अनुच्छेद 35ए को अनुच्छेद 370 तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करके संविधान में जोड़ा गया था. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के साथ ही 35ए को भी रद्द कर दिया गया था.जम्मू-कश्मीर की दो अहम पार्टियों नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) ने अनुच्छेद 370 को हटाने को इस आधार पर चुनौती दी है कि इस कदम से कश्मीरियों ने स्वायत्तता और आंतरिक संप्रभुता (Autonomy and Internal sovereignty) गंवाई है.इसके साथ ही अनुच्छेद 370 और 35ए की फिर से बहाली की मांग की गई.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा,’अनुच्छेद 35 A ने नागरिकों के कई मौलिक अधिकारों को छीन लिया था. इसने नागरिकों से जम्मू-कश्मीर में रोजगार, अवसर की समानता, संपत्ति अर्जित करने के अधिकार छीना. ये अधिकार खास तौर पर गैर-निवासियों से छीने गए हैं.’ कोर्ट ने आगे कहा कि राज्य के अधीन किसी भी कार्यालय में रोजगार या नियुक्ति से संबंधित मामलों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता, अचल संपत्ति अर्जित करने का अधिकार और राज्य सरकार के तहत रोजगार का अधिकार आता है.ये सब अधिकार ये अनुच्छेद नागरिकों से छीनता है.ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये निवासियों के विशेष अधिकार थे और गैर-निवासियों के अधिकार से बाहर किए गए थे.
इससे पहले, केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल (SG)तुषार मेहता ने कहा कि फरवरी 2019 में पुलवामा में CRPF काफिले पर जिहादी हमले के बाद केंद्र ने ये मन बनाया कि कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म कर दिया जाए और वहां केंद्र शासित प्रदेश बनाया जाए.उन्होंने कहा कि यह कदम कदम कई चीजों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया था जैसे-संप्रभुता, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे आदि. एसजी ने यह भी कहा कि इस निर्णय से पहले अच्छी तरह से सोचा गया है और यह जल्दबाजी में लिया गया निर्णय नहीं है.सॉलिसटर जनरल ने कहा कि अनुच्छेद 35ए हटने से जम्मू-कश्मीर में निवेश आना शुरू हो गया है और पुलिस व्यवस्था केंद्र के पास होने से क्षेत्र में पर्यटन भी शुरू हो गया है.
अनुच्छेद 35ए वह विशेष व्यवस्था थी जो राज्य के मूल निवासियों (परमानेंट रेसीडेंट) को विशेष अधिकार देती थी. इस अनुच्छेद को मई 1954 में विशेष स्थिति में दिए गए भारत के राष्ट्रपति के आदेश से जोड़ा गया था. 35A भी उसी विवादास्पद आर्टिकल 370 का हिस्सा था जिसके जरिए जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था.
वर्ष 1956 को अस्तित्व में आए जम्मू और कश्मीर संविधान में मूल निवासी को परिभाषित किया गया था. इसके अनुसार,वही व्यक्ति राज्य का मूल निवासी माना जाएगा, जो 14 मई 1954 से पहले राज्य में रह रहा हो, या जो 10 साल से राज्य में रह रहा हो और जिसने कानून के मुताबिक राज्य में अचल संपत्ति खरीदी हो. यह भी कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के पास ही इस अनुच्छेद में उल्लिखित राज्य के मूल निवासियों की परिभाषा को दो-तिहाई बहुमत से संशोधन करने का अधिकार है. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के साथ ही 35ए को भी रद्द करने का निर्णय लिया था. इसके साथ ही अक्टूबर, 2019 से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग केन्द्र शासित क्षेत्र (UT)बना दिया गया था.
जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई शख्स, राज्य में न तो स्थायी रूप से बस सकता था और न ही संपत्ति खरीद सकता था. भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी.जम्मू-कश्मीर का स्थायी निवासी नही बन सकता था और इस कारण वहां वोट नही डाल सकता था.जम्मू-कश्मीर के मूल निवासी को छोड़कर बाहर के किसी शख्स को राज्य सरकार में नौकरी भी नहीं मिल सकती थी. राज्य की कोई महिला बाहर के किसी व्यक्ति से शादी करती है तो राज्य में मिले उसे सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं लेकिन राज्य का कोई पुरुष अगर बाहर की किसी महिला से शादी करता है, तो उसके अधिकार खत्म नहीं होते. उस पुरुष के साथ ही उसके होने वाले बच्चों के भी अधिकार कायम रहते हैं.
अनुच्छेद 35 A को देश को आजादी मिलने के सात साल बाद1954 को संविधान में जोड़ा गया था. इसे जोड़ने का आधार वर्ष 1952 में प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला के बीच हुआ ‘1952 दिल्ली एग्रीमेंट’था जिसमें जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भारतीय नागरिकता के फैसले को राज्य का विषय माना गया था.साल 1954 में इसे राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से संविधान में जोड़ा गया था.
बता दें, अनुच्छेद 370 हटाने का मुद्दा हमेशा से ही बीजेपी के प्रमुख मुद्दों में से एक रहा है.बीजेपी ने इसे हटाने का वादा किया था. 2019 के लोकसभा चुनावों में जबर्दस्त जीत हासिल कर बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन जैसे ही सत्ता में आया, भगवा पार्टी ने अपना वादा पूरा कर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35 A और 370 ए को खत्म करने का निर्णय लिया. फैसले के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्रशासित क्षेत्रों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया गया. कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दल, कड़े विरोध के बावजूद अनुच्छेद 370 के प्रस्ताव को दोनों सदनों से पास कराने से रोकने में नाकाम रहे थे.
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