सीएम अशोक गहलोत ने देर रात लॉ एंड ऑर्डर की समीक्षा के लिए गृह विभाग की बैठक ली। सीएम ने कहा कि प्रदेश में पीड़ितों को जल्द न्याय दिलाने लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट खोलने के संबंध में केन्द्र को प्रस्ताव भिजवाने के साथ ही राज्य स्तर पर भी हाईकोर्ट से विमर्श कर फास्ट ट्रैक अदालतें खोलने के प्रयास किए जाएंगे।
सीएम गहलोत के साथ प्रदेश की कानून व्यवस्था की समीक्षा बैठक में पुलिस महानिदेशक उमेश मिश्रा, प्रमुख शासन सचिव गृह आनंद कुमार, डीजी लॉ-एंड-ऑर्डर राजीव कुमार शर्मा, एडीजी इन्टेलीजेंस एस. सेंगथिर सहित वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आपराधिक घटनाओं के बाद शव रखकर प्रदर्शन को अनुचित बताते हुए कहा कि इससे इंवेस्टिगेशन वर्क में वैधानिक अड़चनें आती हैं और यह दिवंगत के प्रति भी असंवेदनशीलता है।
सीएम ने कहा कि पुलिस द्वारा मनचलों का रिकॉर्ड पुलिस थानों में दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू होने से छेड़छाड़ की ऐसी घटनाओं में कमी आई है। महिलाओं और उनके अभिभावकों में सुरक्षा की भावना आई है। गंभीर अपराधों में केस ऑफिसर्स स्कीम के तहत कार्यवाही कर जल्द न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है। इस दौरान सीएम ने प्रतापगढ़ के धरियावद और कुचामन सहित अन्य घटनाओं में जल्द मुलजिम पकड़ने पर सराहना की।
गहलोत ने मुख्यमंत्री निवास पर कानून-व्यवस्था की समीक्षा बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को बेहतर बनाए रखने के साथ ही अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए आदतन अपराधियों, जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों, मादक पदार्थों के तस्करों आदि पर कड़ी कार्रवाई की जाए। गहलोत ने प्रत्येक थाना क्षेत्र में आदतन अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध प्रभावी कार्यवाही अमल में लाने के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने प्रभावी रात्रि गश्त की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए कहा कि इस कार्य के लिए आवश्यकता के अनुसार अतिरिक्त होमगॉर्ड्स को नियोजित किया जाए। उन्होंने नए ज़िलों सहित अन्य जिलों में पुलिस नफरी की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए होमगॉर्ड्स नियोजित करने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सीमावर्ती जिलों में आपराधिक तत्वों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई के साथ ही इन क्षेत्रों में अतिरिक्त जाब्ते के लिए होमगॉर्ड्स नियोजित करने और क्विक रेस्पांस टीमें गठित करने के निर्देश दिए। उन्होंने सीमावर्ती क्षेत्रों में अतिरिक्त 112 वाहन भी नियोजित करने के निर्देश दिए।
कहा कि पार्थिव देह का समय पर पोस्टमॉर्टम नहीं होने की स्थिति में साक्ष्य और सबूत कमजोर होने की संभावना रहती है और इससे अपराधियों को लाभ भी मिल सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने कानून पारित किया है। उन्होंने कहा कि कई अवसरों पर पीडित पक्ष द्वारा शव रखकर प्रदर्शन करने के कारण एफआईआर देरी से दर्ज करवाई जाती है। इससे डिटेन किए गए मुल्जिमों को भी इसका लाभ मिलने की संभावनाएं रहती हैं।
इन प्रदर्शनों से अनुसंधान और न्यायिक प्रक्रिया में अनेक अड़चनें पैदा करने वाली परिस्थितियां निर्मित होती हैं और पीड़ित परिवार को भी न्याय मिलने में बाधा उत्पन्न होती है। उन्होंने असामाजिक तत्वों के उकसावे में आकर पार्थिव शरीर को लेकर प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति को अनुचित बताते हुए आमजन से इस संबंध में कानून का पालन करने का आग्रह किया है।
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