उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर मंगलवार को मतदान होना है. वहीं उपचुनाव से दूर बसपा के फैसले ने राजनीतिक हलचल एकाएक बढ़ा दी है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने बसपा चीफ मायावती का हवाला देते हुए अपने वोटरों से चुनाव से दूर रहने की अपील की है. वहीं जो समर्थक मतदान प्रक्रिया में भाग लेने घर से निकलते भी हैं तो उन्हें नोटा का बटन दबाने को कहा गया है. इस एलान के बाद बीजेपी अब बसपा के वोटरों को अपने पाले में लाने की जुगत में लग गई है. उसे उम्मीद है मोदी-योगी की योजनाओं का हवाला देकर बसपा के वोटर उसके प्रत्याशी के पक्ष में आसानी से आ जाएंगे, जिसका असर सीधे चुनाव परिणाम पर दिखेगा.
यूपी का घोसी उपचुनाव सियासी नजरिए से बेहद अहम माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव-2024 से पहले हो रहे इस चुनाव को एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन के रूप में देखा जा रहा है. सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को कांग्रेस, रालोद का समर्थन मिला है. वहीं सपा से बीजेपी में आए दारा सिंह को सुभासपा का भरपूर साथ मिल रहा है. लिहाजा, घोसी सीट पर सीधे लड़ाई भाजपा और सपा के बीच है. ऐसे में दोनों गठबंधन इस जीत से सियासी संदेश देना चाहते हैं. उधर बसपा के एलान के बाद भाजपा और सपा में हलचल तेज हो गई है. कारण, घोसी सीट पर 90 हजार से ज्यादा अनुसूचित जाति के वोटर हैं जो परिणाम को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं. बसपा के एलान के बाद भजापा ने अपनी स्थानीय टीम को एक्टिव कर दिया है. उन्हें विश्वास है कि प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने बिना भेदभाव के हर वर्ग के लिए काम किया है. खासकर, दलित-पिछड़ों के विकास के लिए कई योजनाएं संचालित की हैं. ऐसे में बसपा के चुनाव से दूर रहने पर ये वोटर भाजपा के साथ आसानी से आ जाएंगे. वहीं सपा शासन में हुई दलितों की अनदेखी से बसपाई वोटर उससे दूरी ही बनाएंगे.
90 हजार अनुसूचित जाति, 95 हजार मुस्लिम, 50 हजार राजभर, 50 हजार नोनिया, 30 हजार बनिया, 19 हजार निषाद, 15-15 हजार क्षत्रिय, कोइरी, 14 हजार भूमिहार, 7 हजार ब्राह्मण, 5 हजार कुम्हार.
बसपा प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने न्यूज़ 18 को बताया कि पार्टी मुखिया ने घोसी उपचुनाव से दूर रहने के निर्देश दिए हैं. ऐसे में पार्टी ने साफ कर दिया है कि वह इस चुनाव में किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगी. लिहाजा बसपा समर्थक मतदान से दूर रहेंगे. वहीं जो मतदान प्रक्रिया में भाग भी लेते हैं वह नोटा का बटन दबाएंगे, क्योंकि जीते हुए प्रत्याशी को दोबारा अपनी पार्टी में शामिल कर फिर से मतदान कराना आम जनता का ही नुकसान है. लिहाजा बसपा इस तरीके की व्यवस्था का विरोध करती है. 2022 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने घोसी सीट पर 54000 वोट हासिल किए थे.
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