G20 समिट से पहले पीएम मोदी ने MoneyControl.Com से खास बातचीत की है. उन्होेंने पूरी दुनिया की ग्रोथ के लिए अपना विज़न साझा किया.
ग्लोबल लीडर्स का दृष्टिकोण बदलने पर पीएम मोदी ने कहा, "राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बैठकों की मेजबानी के लिए दिल्ली, विशेषकर विज्ञान भवन को चुना जाता था, लेकिन हमारी सरकार ने इस परंपरा को बदला है." उन्होंने कहा. "देश की अद्भुत विविधता को देखकर, मेरे अंदर एक अलग दृष्टिकोण विकसित हुआ. इसलिए, हमारी सरकार ने पहले दिन से ही ग्लोबल लीडर्स के दृष्टिकोण का बदलने पर काम किया है."
दिल्ली के बाहर विभिन्न स्थानों पर कई वैश्विक बैठकें भी आयोजित की गई हैं. वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन हैदराबाद में आयोजित किया गया था. भारत ने गोवा में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और जयपुर में फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आइलैंड्स कॉर्पोरेशन शिखर सम्मेलन की मेजबानी की. यह प्रचलित दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव है.
पीएम मोदी ने उदाहरण देते हुए कहा, "मैंने देशभर में वैश्विक नेताओं के साथ कई कार्यक्रमों की मेजबानी की है. लेकिन वह दिल्ली तक ही नहीं सीमित रही है. बेंगलुरु में तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की मेजबानी की गई थी. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और तत्कालीन जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने वाराणसी का दौरा किया. पुर्तगाली राष्ट्रपति मार्सेलो रेबेलो डी सूसा की गोवा और मुंबई में मेजबानी की गई. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने शांतिनिकेतन का दौरा किया. तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने चंडीगढ़ का दौरा किया."
पीएम मोदी ने यह भी कहा, "जब वैश्विक नेता मुझसे मिलते हैं, तो वे विभिन्न क्षेत्रों में 140 करोड़ भारतीयों के प्रयासों के कारण भारत के बारे में आशावाद की भावना से भर जाते हैं. वे यह भी मानते हैं कि भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है और उसे वैश्विक भविष्य को आकार देने में बड़ी भूमिका निभानी चाहिए. G20 मंच के माध्यम से हमारे काम के प्रति उनके समर्थन में भी यह देखा गया है."
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