आगामी 8 से 10 सितंबर तक नई दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन होने जा रहा है. इसको लेकर तैयारियां पूरे जोर शोर से की जा रही है. सुरक्षा चाक चौबंद करने से लेकर दिल्ली को खूबसूरत लुक देने का काम भी बखूबी किया जा रहा है.
अमेरिका के प्रेजिडेंट जो बाइडन समेत दुनिया के करीब 30 देशों के राष्ट्राध्यक्ष, प्रमुख और प्रतिनिधियों के इस सम्मेलन में शिरकत करने की उम्मीद जताई गई है. लेकिन इससे ठीक पहले राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से डिनर इन्वीटेशन भेजा गया है जिसमें ‘प्रेजिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह पर ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत‘ अंकित किया गया है जिस पर बवाल खड़ा हो गया है. विपक्ष खासकर कांग्रेस ‘भारत’ शब्द को लेकर काफी मुखर हो गई है. कांग्रेस के अलग-अलग नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं.
‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ नाम पर G-20 रात्रिभोज का निमंत्रण भेजे जाने पर कांग्रेस नेता शशि थरूर (Shashi Tharoor)ने मंगलवार को कहा कि इंडिया को ‘भारत’ कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि सरकार इतनी ‘मूर्ख’ नहीं होगी कि ‘इंडिया‘ को पूरी तरह से त्याग दे, जिसकी बड़ी ‘ब्रांड वैल्यू’ है.
केरल से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने यह भी दावा किया कि यह पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah) थे जिन्होंने ‘इंडिया’ नाम पर आपत्ति जताई थी क्योंकि इसका तात्पर्य यह था कि ‘हमारा देश ब्रिटिश राज का उत्तराधिकारी राज्य था और पाकिस्तान (Pakistan) एक अलग राज्य था.’ थरूर ने कहा कि सीएए की तरह, भाजपा सरकार जिन्ना के दृष्टिकोण का समर्थन करती रहती है.
जी20 (G-20) से संबंधित डिनर के निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत (भारत के राष्ट्रपति)’ के तौर पर संबोधित किए जाने को लेकर मंगलवार को बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार देश के दोनों नामों ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में से ‘इंडिया’ को बदलना चाहती है.
जी20 से संबंधित डिनर के निमंत्रण पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत (भारत के राष्ट्रपति)’ के तौर पर संबोधित किए जाने को लेकर मंगलवार को बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया. विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार देश के दोनों नामों ‘इंडिया’ और ‘भारत’ में से ‘इंडिया’ को बदलना चाहती है.
थरूर ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किया- ‘इंडिया को ‘भारत’ कहने में कोई संवैधानिक आपत्ति नहीं है, जो कि देश के दो आधिकारिक नामों में से एक है. मुझे उम्मीद है कि सरकार इतनी मूर्ख नहीं होगी कि उस ‘इंडिया’ नाम को पूरी तरह से ख़त्म कर दे, जिसकी सदियों से एक बड़ी ब्रांड वैल्यू बनी हुई है.’ थरूर ने कहा- ‘इतिहास को फिर से जीवंत करने वाले नाम, दुनिया भर में पहचाने जाने वाले नाम पर अपना दावा छोड़ने के बजाय हमें दोनों शब्दों का इस्तेमाल जारी रखना चाहिए.
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