अगर बच्चे माता-पिता की सेवा ठीक से नहीं करेंगे तो उनके नाम की गई संपत्ति को वापस भी लिया जा सकता है. यह फैसला मद्रास हाई कोर्ट ने सुनाया है. पीठ ने कहा कि माता-पिता को अगर लगता है कि उन्हें बिना प्यार और सत्कार के रखा जा रहा है, तो वो एकतरफा तरीके से बच्चों के नाम की गई संपत्ति की विल को रद्द कर सकते हैं. न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम ने मां के हक में फैसला देते हुए कहा, ‘महज ये दोहराना कि संपत्ति की विल प्यार में बच्चों के नाम उनके फायदे के लिए कर दी गई लेकिन इसे नागरिकता कानून और माता-पिता का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम पर खरा उतरना होगा.
होई कोर्ट ने सब रजिस्ट्रार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा, ‘संपत्ति की विल बनाते वक्त प्यार और लगाव विचारणीय बात है लेकिन अगर कोई उक्त अधिनियमों का उल्लंघन करता है तो इसे बदला जा सकता है. सब-रजिस्ट्रार के आदेश में कोई कमी नहीं है.’ तमिलनाडु के तिरुप्पुर की रहने वाली शकीरा बेगम ने अपनी संपत्ति को बेटे मोहम्मद दयान के नाम कर दिया था. मां ने सब रजिस्ट्रार का रुख करते हुए कहा था कि उसने बेटे के नाम संपत्ति इस शर्त पर की थी कि वो उसका अच्छे से ख्याल रखेगा. अब उसे अपने वादे पर खरा उतरना है, जो वो नहीं कर रहा है.
इसके विरोध में बेटे की तरफ से कहा गया कि 20 अक्टूबर 2020 को जो विल बनाई गई थी, उसमें ऐसी कोई बात नहीं कही गई थी कि उसे इसके एवज में मां का ख्याल रखना है. बेंच ने कहा, ‘नियमों के सभी प्रावधानों का मकसद यह है कि सीनियर सिटिजन के अधिकारों की रक्षा हो सके. उनके साथ मानवीय बर्ताव हो. जब मानवीय व्यवहार उनके प्रति बेरुख है और उनकी सुरक्षा व सम्मान की रक्षा नहीं हो पा रही है तो प्रावधानों को लागू करना होगा.’
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