शिक्षा नगरी कोटा में अपने उद्घाटन के लिए तैयार चंबल रिवर फ्रंट को भाजपा के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने अवैध बताकर यूडीएच मंत्री धारीवाल के सपनों को चकनाचूर कर दिया है। उन्होंने कहा कि चंबल रिवर फ्रंट में सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के आदेशों तक को अनदेखा कर दिया गया। और मनमानी से जनता के करोड़ों रुपए का दुरुपयोग कर पर्यटन की जो बात की जा रही है वह सरासर बेईमानी है। प्रहलाद गुंजल ने कोटा शहर में आयोजित पत्रकार वार्ता में ये खुलासा किया और इसके प्रमाण भी पेश किए।
कोटा उत्तर के पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि शांति धारीवाल ने चुनावी साल में जनता की वाहवाही लूटने के लिए घड़ियाल सेंचुरी के बफर जोन में निर्माण कार्य करवा दिया। इस निर्माण की स्वीकृति किसी भी विभाग से नहीं ली गई है। गुंजल ने बताया कि भारत सरकार के वन एवम पर्यावरण मंत्रालय ने राजस्थान के वन्य जीव विभाग को गत एक जुलाई को पत्र लिखा है। इसमे चंबल हेरिटेज रिवर फ्रंट के निर्माण को घोर गैर कानूनी बताया है। ऐसे में सीएम अशोक गहलोत को अपनी नैतिक जिम्मेदारी को स्वीकार करते हुए इसका उद्घाटन रोक कर इसकी पूरी जांच करवानी चाहिए।
गुंजल ने कहा कि चंबल हेरिटेज रिवर फ्रंट में जनता के पैसों की बरबादी कर दी गई। रिवर फ्रंट में टेंडरों को 50 फीसदी ज्यादा दर पर किया गया है। कई टेंडर तो नॉन बीएसआर कर भ्रष्टाचार किया गया है। यहां निर्माण के कार्यों को 145 फीसदी ज्यादा दर पेपर दिया गया है। कोटा की जनता देखेगी चंबल रिवर फ्रंट सफेद हाथी बन सकता है। गुंजल ने कहा कि अब हमारी सरकार आएगी तब रिवर फ्रंट के सभी टेंडरों की जांच करवाई जाएगी और इसमें रिकवरी भी की जाएगी। साथ ही इसमें दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों की संपत्ति की भी जांच करवाई जाएगी।
गुंजल ने कहा कि अजमेर के आना सागर लेक के पास सेवन वंडर पार्क का निर्माण करवाया गया, यह भी गैरकानूनी है। इसको तोड़ने के आदेश नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने दे दिए हैं। ऐसे में कोटा में भी इस तरह से जनता के 1500 करोड़ की बर्बादी कर दी गई। जिस तरह से आनासागर लेक को डिस्मेंटल करने के आदेश दिए हैं, ऐसे ही आदेश कोई भी व्यक्ति एनजीटी या सुप्रीम कोर्ट में इसके निर्माण को लेकर जाएगा तब यह आदेश हो जाएंगे। ऐसे में चंबल का हेरिटेज रिवर फ्रंट भी तोड़ा जा सकता है।
पूर्व विधायक गुंजल ने कहा कि 100 हेक्टेयर चौड़ाई की नदी है। इसका पूरा अधिकार जल संसाधन विभाग के पास था। इसके बावजूद यूआईटी ने यहां पर निर्माण करवा दिया। इसके लिए फॉरेस्ट की अनुमति ली गई है, इसमें जमीन नगर विकास न्यास के नाम ही नहीं थी, उस पर भी निर्माण करवा दिया गया है। जल संसाधन विभाग और वन्य जीव विभाग से स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है। इसमें कई तरह के गड़बड़झाले और नियमों के उल्लंघन किए गए हैं।
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