चम्बल रिवर फ्रन्ट भारत में विकसित प्रथम हैरिटेज रिवर फ्रन्ट है, इससे कोटा में देशी-विदेशी पर्यटकों का आवागमन बढेगा। कोटा शहर में कोटा बैराज से नयापुरा पुलिया तक 2.75 किमी की लम्बाई में चम्बल नदी के दोनों तटों पर 1400 करोड़ की लागत से चम्बल रिवर फ्रन्ट विकसित किया गया है। इसके बनने से चम्बल नदी के किनारे बसी सभी बस्तियां बाढ़ से मुक्त हो चुकी है। रिवर फ्रन्ट के दोनों तटों पर 27 घाटों का निर्माण किया गया है।
मुख्यमंत्री मंगलवार को 27 घाटों का अवलोकन तथा लोकार्पण करेंगे, जिनमें चम्बल माता घाट, गणेश पोल, मरू घाट, जंतर-मंतर घाट, विश्व मैत्री घाट, हाड़ौती घाट, महात्मा गांधी सेतु, कनक महल, फव्वारा घाट, रंगमंच घाट, साहित्य घाट, उत्सव घाट शामिल हैं। साथ ही, सिंह घाट, नयापुरा गार्डन, जवाहर घाट, गीता घाट, शान्ति घाट, नन्दी घाट, वेदिक घाट, रोशन घाट, घंटी घाट, तिरंगा घाट, शौर्य घाट, राजपूताना घाट, जुगनु घाट, हाथी घाट और बालाजी घाट का भी गहलोत लोकार्पण करेंगे।
कोटा में विकसित चम्बल रिवर फ्रंट आर्किटेक्ट का देशभर में अद्वितीय नमूना है। इस पर विकास के साथ पर्यटन, रोजगार, पर्यावरण संरक्षण के साथ नदी के सौंदर्यकरण जैसे कार्य किए गए हैं। यहां पर चम्बल माता की 225 फ़ीट ऊंची संगमरमर की मूर्ति भी स्थापित की गई है। चम्बल रिवर फ्रंट के जवाहर घाट पर पं. जवाहर लाल नेहरू का विश्व का सबसे बड़ा गन मेटल का मुखौटा बनाया गया है। साथ ही, दुनिया का सबसे बड़ा नन्दी भी यहां बना है।
इसी प्रकार, एक बगीचे में 10 अवतारों की मूर्ति लगाई गई है तथा बुलन्द दरवाजे से ऊंचा दरवाजा बनाया गया है। राजपूताना घाट पर राजस्थान के 9 क्षेत्रों की वास्तुकला व संस्कृति को दर्शाया गया है। मुकुट महल में 80 फ़ीट ऊँची छत है तथा यहाँ पर सिलिकॉन वैली भी है। ब्रह्मा घाट पर विश्व की सबसे बड़ी घण्टी बनाई गई है जिसकी आवाज 8 किमी दूर तक सुनी जा सकेगी। साहित्यिक घाट पर पुस्तक, प्रसिद्ध लेखकों की प्रतिमाएं भी स्थापित की गई है।
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