राजस्थान वर्ष 2030 तक 10 गुना प्रगति के साथ देश का अग्रणी राज्य बन सके इसके लिए राज्य सरकार द्वारा विजन दस्तावेज 2030 तैयार किया जा रहा है। इसी दिशा में वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के साथ राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा सोमवार को यहां अरण्य भवन में राज्य स्तरीय हितधारकों की बैठक का आयोजन किया गया।
राज्य स्तरीय हितधारकों की बैठक की अध्यक्षता करते हुए वन एवं पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने कहा कि राज्य वन,पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में मॉडल स्टेट बनकर उभर रहा है। हितधारकों के साथ आम जनता को सर्वोपरि रखते हुए नीति नियमों का निर्धारण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हितधारकों,आमजन, विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा राज्य को 2030 तक अग्रणी प्रदेश बनाने के लिए दिए गए सुझाव बेहद महत्वपूर्ण है एवं इन सभी सुझावों पर विचार-विमर्श कर विज़न दस्तावेज- 2030 में शामिल किया जायेगा।
बैठक के दौरान पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की निदेशक एवं संयक्त शासन सचिव मोनाली सेन ने विभागीय उपलब्धियों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा हाल ही में वन संरक्षण, वेटलैंड संरक्षण, ग्रासलैंड संरक्षण एवं संवर्धन, वन्य जीव संरक्षण एवं संवर्धन, कंज़र्वेशन रिज़र्व, वन के बाहर वृक्षारोपण, कचरा प्रबंधन, ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किये गए है। उन्होंने बताया कि राज्य द्वारा वन नीति, क्लाइमेट चेंज एक्शन पॉलिसी, ई- वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी के माध्यम से राज्य को सुरक्षित एवं संरक्षित पर्यावरण उपलब्ध करवाने की संकल्पना को साकार करने का कार्य प्रमुखता से किया जा रहा है। उन्होंने राज्य में प्रदूषण नियंत्रण के क्षेत्र में किये जा रहे कार्यों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में एक जुलाई 2022 से सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। साथ ही राज्य के जीपीएस युक्त 2 मोबाइल वैन एवं 43 सीएएक्यूएमएस के साथ वायु प्रदूषण पर सतत निगरानी रखी जा रही है। इसी के साथ उद्योगों के सुलभ संचालन के लिए राज्य में ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस की राह में ऐतिहासिक कदम उठाये गए है।
इस अवसर पर मौजूद हितधारकों ने राज्य में वेटलैंड की संख्या बढ़ाने, उद्योगों में सोलर प्लांट्स के लिए सरकार द्वारा जगह उपलध करवाने, खनन क्षेत्र में वृक्षारोपण के लिए राज्य सरकार द्वारा जगह उपलब्ध करवाने, खनन में जीरो वेस्ट के लिए प्रयास करने,एसटीपी से निकलने वाले स्लज को सोलर एनर्जी के उपयोग से खाद में परिवर्तित कर उपयोग में लेने, राज्य में इंटीग्रेटेड रिसोर्स रिकवरी पार्क की तर्ज पर अन्य पार्क स्थापित करने, राज्य में सांभर एवं तालछापर की तर्ज पर अन्य जगहों पर भी कंज़र्वेशन रिज़र्व स्थापित करने, कैप्टिव ब्रीडिंग में जन्म लेने वाली प्रजातियों के पशु पक्षियों को वापस जंगल में रहने के लिए तैयार करने के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन एवं निस्तारण के लिए समुचित प्रक्रिया अपनाने की संभावनाओं पर विचार करने के सुझाव दिए गए।
वही इस मौके पर मौजूद सीमेंट एवं टायर उद्योगों के प्रतिनिधियों ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल से जुड़े हुए सवालों एवं समस्याओं के समाधान के लिए हेल्प डेस्क होनी चाहिए। इसी के साथ नॉन- हजार्डियस वेस्ट के लिए अनुमति के नियमों पर विचार किया जाना चाहिए, साथ ही ऐसे उद्योग जो की प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नियमों की पलना कर रहे है, उनके निरीक्षण नियमों एवं समय में शिथिलता दी जानी चाहिए। इस अवसर पर बिना अनुमति के पेड़ काटने पर एवं पशु पक्षियों का शिकार करने पर कड़े नियम बनाने का सुझाव भी दिया गया।
इस मौके परअतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी हितधारकों के सुझावों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इन महत्वपूर्ण सुझावों को विज़न दस्तावेज 2030 के शामिल किया जायेगा। जिसके साथ निश्चित तौर पर सुद्रण वन तंत्र, स्वक्छ पर्यावरण के साथ प्रदूषण मुक्त राजस्थान दस गुना प्रगति की गति के साथ 2030 में देश का अग्रणी राज्य होगा।
इस अवसर पर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मुनीश गर्ग, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव विजय एन सहित वन, पर्यावरण एवं जलवायु विभाग के साथ राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी मौजूद रहे।
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